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वीर दुर्गादास गरबा उत्सव की तैयारियाँ जोरों पर, मातृशक्ति ने लिया परिधान और परंपरा को लेकर अहम निर्णय

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बिलाल खत्री
आलीराजपुर। शारदीय नवरात्रि का पर्व नजदीक आते ही जिले में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। इस क्रम में राठौड़ समाज द्वारा आयोजित वीर दुर्गादास गरबा उत्सव की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। गरबा आयोजन को गरिमामय और सांस्कृतिक मूल्यों से समृद्ध बनाने को लेकर समाज की महिलाओं द्वारा गुरुवार को रणछोड़ राय राठौड़ धर्मशाला में एक विशेष बैठक आयोजित की गई। बैठक में समाज की वरिष्ठ महिलाओं, युवतियों और बालिकाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।

महिला मंडल की बैठक में लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णय

बैठक की अध्यक्षता महिला संरक्षक विद्या भरत और कुसुम लालचंद्र राठौड़ ने की। आयोजन के संबंध में चर्चा करते हुए महिला मंडल अध्यक्ष कीर्ति मनीष राठौड़ ने बताया कि नवरात्रि के अवसर पर दस दिवसीय गरबा उत्सव का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रतिदिन समाज की महिलाएं और किशोरियाँ पारंपरिक गरबा नृत्य प्रस्तुत करेंगी।

आधुनिक पहनावे से परहेज़, पारंपरिक परिधान को प्राथमिकता

महिला मंडल द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि गरबा उत्सव के दौरान लड़कियाँ जींस-टॉप जैसे आधुनिक परिधानों से परहेज करेंगी और इसके स्थान पर वे भारतीय संस्कृति और महिला मर्यादा के अनुरूप पारंपरिक वेशभूषा में गरबा में भाग लेंगी।कीर्ति राठौड़ ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि नई पीढ़ी को हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ा जाए। गरबा केवल नृत्य नहीं, यह आराधना और अनुशासन का भी प्रतीक है।”

माता रानी के श्रृंगार में दिखेगी महिलाओं की सहभागिता

बैठक में यह भी तय किया गया कि हर दिन माता रानी के श्रृंगार की जिम्मेदारी अलग-अलग महिलाओं को दी जाएगी, जिससे आयोजन में सभी की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो सके। इससे सामाजिक समरसता और आपसी सहयोग की भावना को भी बल मिलेगा।

चल समारोह में दिखेगी वीरांगना परंपरा की झलक

किर्ती भरत राठौड़ ने बताया कि नवरात्रि के दौरान माता रानी का भव्य चल समारोह निकाला जाएगा, जो कालका माता मंदिर से प्रारंभ होकर वीर दुर्गादास गरबा मंडल, आमला लाइन तक पहुंचेगा।
इस जुलूस की विशेष बात यह होगी कि बालिकाएं महाराष्ट्रियन साड़ी में पारंपरिक तलवारबाज़ी के करतब प्रस्तुत करेंगी। यह समाज की वीरांगना परंपरा और साहसिकता का प्रतीक होगा। चल समारोह में महिलाएं पीली साड़ी तथा पुरुष सफेद वस्त्र पहनेंगे, जिससे एकरूपता और सांस्कृतिक अनुशासन का सुंदर दृश्य देखने को मिलेगा।

षष्ठी पर होगा बंगाली आरती का विशेष आयोजन

गरबा उत्सव की षष्ठी तिथि (छठा दिन) को समाज की महिलाएं बंगाली पारंपरिक परिधान में सजकर माँ दुर्गा की बंगाली आरती करेंगी। यह आयोजन समाज में सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक भावनाओं के सम्मान का प्रतीक होगा।

रात्रि 10 बजे से 1 बजे तक होगा गरबा आयोजन

गरबा आयोजन प्रतिदिन रात्रि 10 बजे से 1 बजे तक किया जाएगा, जिसमें समाज के सभी वर्ग के लोग माता की आराधना करते हुए गरबा खेलेंगे। गरबा आयोजन में सभी को आमंत्रित किया जाएगा ताकि सामूहिकता और भक्ति का वातावरण बना रहे।

महिलाओं में दिखा उत्साह, नई पीढ़ी में जागरूकता

बैठक में बड़ी संख्या में महिलाओं और किशोरियों ने भाग लिया। सभी ने अपने-अपने सुझाव दिए और आयोजन को सफल बनाने का संकल्प लिया। महिला मंडल ने इस बात पर विशेष बल दिया कि इस उत्सव के माध्यम से नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति, परंपरा और मूल्यों से जोड़ा जाए।उल्लेखनीय है कि राठौड़ समाज द्वारा प्रतिवर्ष गरबा महोत्सव को पारंपरिक गरिमा और सामाजिक समरसता के साथ आयोजित किया जाता है, जो जिले में सांस्कृतिक एकता का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन चुका है। उक्त जानकारी राठौड समाज महिला मंडल की मीडिया प्रभारी ज्योति कांतिलाल राठौड़ ने दी।

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