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ढोल-धमाके और भावुक विदाई के साथ संपन्न हुई श्रीमद् भागवत कथा, समाजजनों में उमड़ा भक्ति भाव

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बिलाल खत्री
आलीराजपुर। राठौड़ समाज धर्मशाला, में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ का समापन ढोल-धमाके और भक्ति भाव से ओतप्रोत विदाई के साथ हुआ। आयोजन का मुख्य आकर्षण कथा के अंतिम दिन का परंपरागत पोती विसर्जन जुलूस रहा, जिसने पूरे वातावरण को आध्यात्मिकता से भर दिया।

सप्ताहभर गूंजी भागवत की अमृतवाणी

इस सात दिवसीय कथा में व्यासपीठ पर विराजमान पंडित शिवगुरु शर्मा (उन्हेल वाले) ने श्रीमद्भागवत महापुराण की अमृतमयी वाणी से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। प्रतिदिन बड़ी संख्या में राठौड़ समाजजन एवं आसपास के ग्रामीण श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए पहुंचे। कथा स्थल भक्ति, श्रद्धा और अनुशासन का जीवंत उदाहरण बना रहा।

मुख्य यजमानों ने निभाई गरिमामयी भूमिका

इस आध्यात्मिक आयोजन के मुख्य यजमान अमृतलाल शंभूलाल राठौड़ (अवास्या सुंदरम परिवार, खट्टाली) रहे। वहीं कथा के प्रथम दिन यजमान नरेंद्र योगेंद्र राठौड़ (रेडियो वाले) और अंतिम दिन यजमान भागीरथ बाबूलाल (लिमडा वाले) रहे। सभी यजमानों ने पूरे आयोजन में श्रद्धा व सेवा से योगदान दिया।

रणछोड़ राय मंदिर प्रांगण में हुई पूर्णाहुति कथा की पूर्णाहुति रणछोड़ राय मंदिर प्रांगण में विधिपूर्वक सम्पन्न हुई। समिति के कांतिलाल राठौड़ ने जानकारी दी कि पूर्णाहुति के यज्ञ कार्य को पंडित शांतिलाल शर्मा ने संपन्न कराया। इस दौरान निरंजन जोशी ‘अप्पू’ द्वारा विधिवत हवन पूजन करवाया गया। पूर्णाहुति के पश्चात सभी भक्तों को प्रसादी का वितरण किया गया।

पोती विदाई जुलूस बना भक्ति व परंपरा का प्रतीक कथा के समापन दिवस पर एक विशेष दृश्य तब देखने को मिला जब मुख्य यजमान ने सिर पर पोती (श्रीमद्भागवत ग्रंथ) रखकर ढोल-ढमाके के साथ राठौड़ धर्मशाला से रणछोड़ राय मंदिर तक शोभायात्रा निकाली। मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना के पश्चात पोती को मुख्य यजमान के बोरखड स्थित निवास तक ले जाया गया। इस यात्रा में समाज की मातृशक्ति, युवाओं और वरिष्ठजनों ने पूरे श्रद्धा भाव से भाग लिया। यात्रा के दौरान “जय श्रीकृष्ण” के जयघोष से पूरा मार्ग गूंज उठा।

भावुकता के साथ हुई विदाई

भागवत पोती की विदाई के समय समाजजन की आंखें नम हो गईं। पंडित शिवगुरु शर्मा की वाणी और सात दिनों की कथा ने सभी के हृदय में गहरी छाप छोड़ी। आयोजन के समापन ने यह सिद्ध किया कि समाज में धर्म, भक्ति और परंपरा की जड़ें आज भी मजबूत हैं।समिति ने आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी यजमानों, सेवकों, भक्तों और कथा प्रेमियों का आभार व्यक्त किया।

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