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“मुस्कान अभियान” के अंतर्गत पुलिस ने विगत 02 माह मे कुल 81 बालक/बालिकाओ को ढूंढकर उनके परिवारों से मिलाया ।

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जिला ब्यूरो इक़बाल खत्री 

पुलिस अधीक्षक खरगोन धर्मराज मीणा के कुशल निर्देशन मे की गई कार्यवाही,

विगत 02 माह मे कुल 81 बालक/बालिकाओ को किया दसत्याब,

विभिन्न राज्यो  से पुलिस टीम ढूंढकर लाई गुम हुए नाबालिग बालक/बालिकाओं को,

पुलिस ने बालक/बालिकाओ को सकुशल किया परिजनों के सुपुर्द, परिजनों ने पुलिस का आभार व्यक्त किया।

     खरगोन। पुलिस मुख्यालय भोपाल के आदेशानुसार जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों से गुम हुए नाबालिक बालक/बालिकाओ की दस्तयाबी हेतु विशेष अभियान “ऑपरेशन मुस्कान” दिनांक 01.04.25 से 31.05.25 तक चलाए जाने हेतु आदेशित किया गया था। । पुलिस महानिरीक्षक इंदौर जोन इन्दौर (ग्रामीण) श्री अनुराग एवं पुलिस उप महानिरीक्षक निमाड रेंज खरगोन सिद्धार्थ बहुगुणा के द्वारा खरगोन जिले मे गुम हुए नाबालिक बालक/बालिकाओ की अधिक से अधिक दसत्याबी करने हेतु निर्देशित किया गया था । 

उक्त निर्देशों के परिपालन में खरगोन पुलिस अधीक्षक धर्मराज मीणा  व अति. पुलिस अधीक्षक (शहर) भापुसे नरेंद्र रावत, अति. पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्रीमति शकुन्तला रुहल के द्वारा गुम हुए नाबालिक बालक/बालिकाओ के प्रत्येक अपराध मे संबंधी अपराधों के विवेचना अधिकारी की लगातार मीटिंग लेकर केस डायरी की समीक्षा की गई एवं समस्त अनुविभागीय अधिकारी पुलिस व समस्त थाना प्रभारियों को प्रभावी कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया । साथ ही प्रत्येक अपराध मे पुलिस थाने से विशेष पुलिस टीम का गठन किया गया जिनके सहयोग के लिए डीएसपी एजेके श्रीमति वर्षा सोलंकी, डीसीबी शाखा को विशेष सहयोग करने हेतु निर्देशित किया गया था ।

पुलिस टीम के द्वारा कुशल दक्षता का परिचय देते हुए देश के विभिन्न राज्य जिनमे मुख्यतः गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों मे लगातार दस्तयाबी हेतु प्रयास किए । जिनके परिणामस्वरूप खरगोन जिले के विभिन्न थानों द्वारा 01.04.2025 से दिनांक 31.05.2025 तक की अवधि मे कुल 81 नाबालिक बालक/बालिकाओ को सकुशल दसत्याब कर उनके परिजनों को सुपुर्द किया गया ।

खरगोन पुलिस के द्वारा इस अभियान को प्रभावी बनाने के लिए सायबर पुलिस की विशेष सहायता ली गई थी जिसमे गुमशुदा बच्चों को ट्रैक करने के लिए तकनीकी उपकरणों और डिजिटल ट्रैकिंग तकनीकों का उपयोग किया गया था । इसके अलावा जिले के प्रत्येक थाने से विशेष पुलिस टीमों का गठन किया गया था । जो विभिन्न इलाकों में जाकर लापता बच्चों की पहचान करने, संभावित ठिकानों की निगरानी रखने और जल्द से जल्द उनकी बरामदगी सुनिश्चित करने का कार्य कर रही थी ।

पुलिस टीम के द्वारा इतनी बड़ी संख्या मे सफलता हासिल करने के लिए बालक/बालिका के गुम होते ही अपहर्ता की जानकारी उसके परिजनों के माध्यम से जुटाई जाती है । अपहर्ता के साथ पढ़ने वाले व पड़ोसियों से भी बातचीत कर अन्य जानकारी प्राप्त कर कुछ मामलों मे संदेहियों को चिन्हित किया जाता है । संदेहियों के चिन्हित होने के पश्चयात उनकी भी जानकारी जुटाई जाती है, संदेहीयो के परिजन व उसके दोस्तों, रिश्तेदारों को पूछताछ के लिए थाने बुलाया जाता है । संदेही जहां पूर्व मे कार्य या मजदूरी करता था वहां के ठेकेदारों/ खेत मालिकों/ गाँव के सरपंचों/ जनप्रतिनिधियों/ लोकल पुलिस से वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन से समन्वय किया जाता है । पुलिस टीम के द्वारा संदेही व अपहर्ता के मिलने वाले संभावित स्थानों पर दबिश दी जाती है टीम उस क्षेत्र मे 2-3 वही रुक कर उक्त बिन्दुओ पर कार्य करती है एवं सफलतापूर्वक नाबालिक बालक/बालिकाओ की दसत्याबी करती है ।

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