बचपन में मां की मृत्यु के बाद जब मैं मामा के पास राजस्थान के केकड़ी कस्बे पहुंचा, तो वहां मुझे पुस्तकों के बीच सुमित्रानंदन पंत जी की एक पतली कविता की पुस्तक मिली थी- ‘उच्छवास’, जो उन्होंने अपने हस्ताक्षर के साथ किसी को भेंट की थी।
Amar Ujala Shabd Samman 2022: ‘आकाशदीप’ विजेता शेखर जोशी… समाज से अलग होकर लेखन का अस्तित्व नहीं हो सकता
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