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पवित्र रमजान माह का आगाज, मुस्लिम समाजजनो में उत्साह

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संभाग ब्यूरो बिलाल खत्री

   अलीराजपुर मुस्लिम समाज के पवित्र रमजान माह का आगाज एक मार्च शनिवार शाम से शुरु हो गया है । समाजजनो द्वारा रविवार को रमजान का पहला रोजा रखा जायेगा। एक माह तक चलने वाले पवित्र पर्व को लेकर समाजजनो मे ख़ुशी की लहर देखी जा रही हे ।

रहमत और बरकत का महीना रमज़ान

रहमत और बरकत का माहे रमजान को लेकर मुस्लिम समाजजनों में 15 दिनो पूर्व से ही तैयारियां करना शुरू कर दी थी। घरों की सफाई के साथ-साथ मस्जिदों में भी आकर्षक रूप से सजावट की गई हे। माहे रमजान अन्य महीनों से ज्यादा बरकत व रहमत वाला माना गया है। इस महीने में की गई खुदा की ईबादत बाकी महीनों से अफजल होती है। यही कारण है कि रमजान के 30 दिन तक मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ बढ़ जाती है, हर कोई अपने रब को मनाने के लिए रोजा रखकर ईबादत में मशगूल हो जाते हैं । रमजान की शुरुआत के साथ ही मस्जिदों में तराबीह की विशेष नमाज का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा । ईशा की नमाज के अदा की जाने वाली इस नमाज की बड़ी फजीलत है। रमजान मे समाजजन अपने रब को राजी करने के लिए सुबह सेहरी करते हुए रोजा रखते है। यह सिलसिला 30 दिन तक जारी रहेगा। 

भूख, प्यास के बिच रोजेदार खुदा का शुक्रिया अदा करता हे

 माहे रमजान शब्द प्रेम और भाईचारे के साथ-साथ अल्लाह की ईबादत का एक खास महीना है और इस माह में सदका जकात अदा करते हैं। इस्लामी धर्म के मानने वाले हर मुसलमान रमजान का बेसब्री से इंतजार करते है। नमाज पढ़ना हर मुसलमान के लिए फर्ज है, उसी तरह रोजे रखना भी खुदा ने फर्ज करार दिया है। इस पाक महीने को रहमतों का महीना भी कहा जाता है। प्यास की शिद्दत, भूख की तड़प, गर्मी की तपिश होने के बाद भी एक रोजेदार खुदा का शुक्रिया अदा करता है। रोजेदार के सामने दुनिया की सारी अच्छी चीजें रखी हों पर वो खुदा की बिना इजाजत के उसे हाथ तक नहीं लगाता। यही सब चीजें एक रोजेदार को खुदा के नजदीक लाती हैं। रूह को पाक करके अल्लाह के करीब जाने का मौका देने वाला रमजान का मुकद्दस महीना हर इंसान को अपनी जिंदगी को सही राह पर लाने का पैगाम देता है। भूख-प्यास की तड़प के बीच जबान से रूह तक पहुंचने वाली खुदा की इबादत हर मोमिन को उसका खास बना देती है। आम दिनों में इंसान का पूरा ध्यान खाने-पीने और दूसरी जरूरतों पर रहता है, लेकिन असल चीज उसकी रूह है। इसी की तरबीयत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है और यही रमजान माह की खासियत भी है।

रमजान के महीने को तीन अशरों में रखा गया

 रमजान के महीने को तीन अशरों (हिस्सों) में रखा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है, जिसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत बरसाता है। दूसरा अशरा ‘बरकत’ का है, जिसमें खुदा अपने बंदों पर बरकत नाजिल करता है, जबकि तीसरा अशरा ‘मगफिरत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है। आम दिनों में बंदे को एक नेकी के बदले में 10 नेकी मिलती हैं, लेकिन रमजान के पाक महीने में खुदा अपने रोजेदार बंदों को एक के बदले 70 नेकियां अता फरमाता है।

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