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सामुदायिक वन अधिकारों, वन संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबंधन पर दो दिवसीय संभागीय कार्यशाला प्रारंभ।

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वनों के संरक्षण, संवर्धन, संचालन एवं संधारण के कार्य में वन समितियों की अहम भूमिका।

         राज्य शासन के दिशा-निर्देशानुसार वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए इंदौर में आज से सामुदायिक वन अधिकारों, वन संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबंधन पर दो दिवसीय संभाग स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। कार्यशाला के पहले दिन अशासकीय सदस्यों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। वहीं दूसरे दिन 16 मई को सुबह 10 बजे से शासकीय अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें इंदौर एवं उज्जैन संभाग के कलेक्टर्स, वन मंडलाधिकारी, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग शामिल होंगे।
         आज कार्यशाला का शुभारंभ जनजातीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री गुलशन बामरा तथा संभागायुक्त श्री दीपक सिंह की विशेष उपस्थिति में किया गया। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए प्रमुख सचिव श्री बामरा ने कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने वन अधिकार अधिनियम के संबंध में भी विस्तार से बताया। उन्होंने राज्य शासन द्वारा वन अधिकार अधिनियम के तहत सामुदायिक अधिकारों को प्रदत्त करने के संबंध में की जा रही कार्रवाई के बारे में भी जानकारी दी।
        संभागायुक्त श्री दीपक सिंह ने कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि अब वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सामुदायिक अधिकारों, विशेषकर वनों के संरक्षण एवं प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सामुदायिक वन अधिकारों में आधारभूत संरचनाएं जैसे सड़क, पुल, अस्पताल, स्कूल एवं धार्मिक स्थल शामिल हैं। वनों के संरक्षण, संवर्धन, संचालन एवं संधारण का कार्य अब वन समितियों के माध्यम से किया जाएगा और उन्हें इस हेतु कानूनी अधिकार भी प्रदान किए गए हैं। श्री सिंह ने बताया कि कार्यशाला के माध्यम से एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा रही है, जिसमें यह स्पष्ट किया जाएगा कि वन समितियों को किन गतिविधियों की अनुमति होगी और किन पर प्रतिबंध रहेगा।
         कार्यशाला के पहले दिन विशेषज्ञों श्री मोहित महाजन, डॉ. शरद लेले और श्री अश्विन कांगे ने प्रतिभागियों को विभिन्न विषयों पर जानकारी प्रदान की। इनमें वन अधिकार अधिनियम की पृष्ठभूमि, सामुदायिक वन अधिकारों के प्रकार, संरक्षण एवं प्रबंधन के अधिकार, दावा प्रक्रिया, नक्शे का उपयोग, मार्गदर्शिका के अनुसार प्रक्रिया, जिला स्तरीय वन अधिकार समिति की भूमिका, ग्रामों की विशेष समस्याओं के समाधान जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल थे। कार्यशाला के प्रारंभ में संभागीय उपायुक्त श्री ब्रजेश पांडे ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। आज इंदौर और उज्जैन संभाग के मुख्य वन संरक्षक, संयुक्त आयुक्त विकास, संभागीय उपायुक्त, भोपाल के संयुक्त आयुक्त जनजातीय कार्य श्री के.के. पबिया सहित अन्य जिलों के अधिकारी एवं जिला स्तरीय वन अधिकार समिति के अशासकीय सदस्य मौजूद थे। यह कार्यशाला वनों के सतत् संरक्षण तथा जनजातीय समुदायों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
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