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खुशियों और उमंग का त्यौहार ईद-उल-फित्र आज देशभर में हर्षोल्लास और उत्साह से मनाया जा रहा है…

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 भोपाल / इस्लाम का मुकद्दस और पाक रमज़ान माह के अलविदा होने के बाद आज देशभर में खुशियों और उमंग का त्यौहार ईद-उल-फित्र हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मुस्लिम समाज के बुजुर्गों, महिलाओं, नोजवानो और बच्चों में ईद के आने का उत्साह, उमंग और चेहरे पर ईद की खुशी साफ नज़र आ रही है।

राजधानी भोपाल की अलग-अलग सभी बड़ी मस्ज़िदों में ईद-उल-फित्र की नमाज़ अदा की गई भोपाल की ऐतिहासिक ईदगाह में सबसे पहले 7-15 मिनट पर भोपाल शहर काज़ी सै. मुश्ताक अली नदवी ने नमाज़ अदा कराई। इसके बाद ज़ामा मस्ज़िद में 7-30 बजे, ताजुल-मसाज़िद में 7-45 बजे, मोती मस्ज़िद में 8 बजे, बड़ी मस्ज़िद बाग फरहत अफज़ा में 9 बजे और मस्ज़िद चार मीनार ऐशबाग में 7-30 बजे नमाज़ अदा कराई गई। नमाज़ से पहले इमामो ने इस्लाम की खूबसूरती पर तकरीरें की जिसमे इंसान को अल्लाह के तमाम हुकमो पर चलने और इस्लाम के आखिरी पैगम्बर हज़रत मोहम्मद सल्ल. के बताए हुए तरीके और रास्ते पर चलने की हिदायत दी गई। इसी तरह हर इंसान के साथ हज़रत मोहम्मद सल्ल. का ताल्लुक और अखलाक कैसा था इस पर इमामों ने क़ुरआन और हदीस के हवाले से रोशनी डाली। ईद की नमाज़ के बाद मुस्लिम समाज के लोगो ने आपस मे गिले-शिकवे भुलाकर गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी एवं नए-नए कपड़े पहने बच्चों को ईदी के रूप में पैसे दिए। घरों में दावतों का दौर भी शुरू हो चुका है जो लगातार 3 दिनों तक चलेगा इस दौरान सिवेंय्या, शीर-खुरमा, छोले, दही-बड़े आदि की दावत की जाती है। बड़ी मस्ज़िद बाग फरहत अफज़ा के ईमाम मसीह-आलम साहब ने ईद की नमाज़ से पहले अपने बयान में ईद की अहमियत को समझाते हुए कहा की हमने जिस तरह रमज़ान के महीने में अल्लाह की इबादत की, नमाज़ पढ़ी रोज़े रखे, ज़िक्र और तिलावत की, सदक़ा-खैरात और ज़कात दी एवं तमाम गुनाहों से दूर होकर अल्लाह के करीब रहे अब हमें उसी तरह से अपनी बाकी बची हुई ज़िन्दगी को गुज़ारना है रमज़ान आकर हमे यही सबक देता है की हम मुत्तक़ी और परहेज़गार बने दीन की मेहनत के लिए हमेशा तैयार रहे गुनाहों वाली ज़िन्दगी छोड़कर तक़वे वाली ज़िन्दगी अपनाए। इसी तरह मस्ज़िद चार मीनार के ईमाम अब्दुल वाहिद साहब ने नमाज़ के बाद अपनी दुआ में मुल्क की तरक्की और अमनो-अमान की दुआ की एवं मरने के बाद होने वाले अज़ाब से दुआओ के ज़रिए अल्लाह से पनाह माँगी।

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