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अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस समारोह हिमाचल प्रदेश में गूंजा नारा भारत देश के आदिवासी एक हो, एक हो

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साजिद राजधानी बड़वानी

आदिवासी समन्वय मंच भारत के तत्वावधान में भारत देश में 9 वां अन्तर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस का दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यक्रम जिला भाषा कला केंद्र सोलन, जिला सोलन हिमाचल प्रदेश में आदिवासी परंपरानुसार पुजा अर्चना, धरती वंदना व सांस्कृतिक कार्यक्रम से शुरुआत हुई।  आदिवासी समन्वय मंच भारत द्वारा देश के अलग-अलग राज्यों में कार्यरत आदिवासी समाज के विभिन्न संगठनों, संस्थाओं, कार्यकर्ताओं के समान मुद्दों को लेकर संगठित करने के उद्देश्य से देश के अलग-अलग क्षेत्रों में इस कार्यक्रम का आयोजन करते आ रहे हैं। पहला कार्यक्रम जंतर-मंतर नई दिल्ली, दुसरा नागपुर महाराष्ट्र, तीसरा रांची झारखंड,चौथा मैसुर कर्नाटका, पांचवां भिलोडा राजस्थान, छटवां दिफु आसाम, सातवां रायपुर छत्तीसगढ़, आठवां भद्राचलम तेलंगाना और नौवां सोलन हिमाचल प्रदेश में ऐतिहासिक रूप से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।   स्वागत भाषण आदिवासी समन्वय मंच भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी मुथैया कर्नाटक के द्वारा किया गया । प्रस्तावना अशोक भाई चौधरी एवं प्रतिवेदन उत्पल भाई चौधरी ने रखा । इस साल के अध्यक्ष की नियुक्ति डॉ सुनील पराड महाराष्ट्र को किन्नौरी टोपी पहना कर वर्तमान अध्यक्ष वी मुथेया ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप डॉ पराड को जिम्मेदारी सोपी! आदिवासी समन्वय मंच भारत की भूमिका कोर कमेटी सदस्य पोरलाल खर्ते के द्वारा रखी गई । उन्होंने अपने उद्बोधन की शुरुआत भारत देश के आदिवासी एक हो, दुनिया के आदिवासी एक हो नारे के साथ की,यह नारा पूरी सभा में गूंज उठा । आगे कहा कि पूरे भारत देश के भ्रमण के दरमियान एक बात सामने आई है कि देश के आदिवासियों की समस्याएं लगभग एक जैसी ही है, उनके समाधान के लिए हमें देश भर के आदिवासियों को संगठित होना पड़ेगा । अभी तक ना तो आदिवासियों को गंभीरता से लिया गया है और ना ही हमारी समस्याओं को गंभीरता से लिया  गया है। इसका एकमात्र कारण यही है कि हम लोग 700 से ज्यादा जातियों में बटे हुए हैं और अलग-अलग कोने में संघर्ष कर रहे हैं । यदि वास्तविक रूप से हम हमारी समस्या का समाधान चाहते हैं जितना जल्दी हो सके आदिवासी समन्वय मंच भारत के बैनर तले एक होकर संघर्ष करना होगा। हमारी अनेकों समस्याएं हैं जिसमें महत्वपूर्ण समस्या है इस प्रकार है :- आदिवासी महिला से गैर आदिवासी पुरुष से शादी करके उसके नाम पर संपत्ति खरीदने का कार्य किया जा रहा है और चुनाव भी लड़ा जा रहा है, यदि ऐसा प्रकरण आता है तो उसे महिला का आदिवासी होने के नाते मिलने वाले समस्त अधिकारों से वंचित किये जाने का कानून बनाया जाना चाहिए। देश के संविधान में आदिवासी शब्दों को शामिल नहीं किया गया, संविधान में संशोधन करके जिन-जिन स्थान पर जनजाति शब्द का उपयोग हुआ है उन उन स्थान पर आदिवासी शब्द लिखा जाए,आदिवासी सलाहकार परिषद का अध्यक्ष पदेन मुख्यमंत्री होता है, किसी आदिवासी जनप्रतिनिधि को बनाया जाना चाहिए, जो इलाके संविधान लागू करते समय पांचवी और अनुचित छठी अनुसूची में शामिल करने से छूट गए उन्हें सर्वे करवाकर अनुसूचियों में शामिल किया जाए, देश के सभी राज्यों में निर्दोष आदिवासियों को जेल में डाला गया है, गरीबी के कारण उनका कैस कोई नहीं लड़ रहा है उनकी पैरवी केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा किया जाना चाहिए और उन्हें न्याय दिलाने में मदद की जाए, मणिपुर राज्य में हिंसा को बंद किया जाए आदि । आदिवासी समाज के युवा हर क्षेत्र में विशेषज्ञ बने और जहां अवसर मिले वहां पर अपनी बात को सही आंकड़े, तथ्यों एवं तर्कों के साथ में रखें ताकि हम अपनी बातों से मजबूती के साथ में लोगों को संतुष्ट कर सके । आने वाले समय में बड़े आंदोलन की तैयारी करना है,जिसके लिए हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलकर संवेदना जगाना होगा हमारे संवैधानिक एवं प्राकृतिक हक अधिकार के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा । कार्यक्रम संचालन नक्ताराम भील राजस्थान, विजय सोलंकी मध्यप्रदेश, स्वाति डोलिया गुजरात तथा आभार उत्पल भाई चौधरी गुजरात ने माना । मध्य प्रदेश राज्य की ओर से विक्रम अच्छालिया,अनिल रावत,उर्मिला खरते, रीना मौर्य, राजाराम मेहता, बद्रीलाल खराड़िया, हाई कोर्ट एडव्होकेट सागर खरते, कोमल रावत, लोकेश मुजाल्दा, विजय सोलंकी, राजू चौहान,फतेलाल सोलंकी , प्रकाश सुल्या,तूफान मुरवेज,  सायसिंह डावर,राजेश सुल्या, सुरमल खोटे, मुकेश जाधव आदि सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं शामिल हुए ।

पोरलाल खर्ते 

कोर कमेटी सदस्य 

आदिवासी समन्वय मंच भारत

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