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ऐतिहासिक स्थल की शैक्षणिक यात्रा

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ऐतिहासिक गौरव का गढ़ है मांडव – विशाल धाकड़ ( एसडीएम ) कुक्षी

धार इकबाल खत्री


 लगन लगाकर पढ़ेंगे तो सम्मान स्वयं सिर झुकाएगा – मोनिकसिंह एसडीओपी धामनोद

मांडू की खूबसूरती को निकट से निहारा

कन्याशाला की 186 बालिकाओं ने कहा आनंद की नगरी में आनंद आया


कुक्षी – पर्यटन की दृष्टि से दर्शनीय और शैक्षणिक दृष्टि से पठनीय मांडव के सांस्कृतिक इतिहास को शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुक्षी की  कक्षा 9 से 12 तक की 186 छात्राओं तथा शिक्षकों ने नजदीक से निहारा । अपने एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण पर गई बालिकाएं मांडव के ऐतिहासिक महलों को देखकर कह उठी वाह आनंद की नगरी अदभुत हो तुम । मांडव भ्रमण के लिए कुक्षी के एसडीएम विशाल धाकड़ आईएएस ने  छात्राओं तथा शिक्षक स्टॉफ को मांडव के बारे मे मार्गदर्शन दिया तथा यात्रा की शुभकामना दी ।

शैक्षणिक भ्रमण पर बालिकाओं ने देगधा के स्कूल का भी भ्रमण किया तो कुक्षी की कन्याशाला में अध्ययन कर चुकी और वर्तमान में धामनोद की दबंग एसडीओपी मोनिकासिंह से भी सौजन्य भेंट कर अपने लिए टिप्स लिए । इस अवसर पर एसडीओपी मोनिकासिंह ने बालिकाओं से कहा कि लगन के साथ किया गया अध्ययन जीवन में ऊंचाई का स्पर्श कराने में बहुत मददगार होता है । अच्छी पढ़ाई करके लड़कियां भी अपने परिवार व समाज के साथ देश- दुनिया में सम्मान पा सकती हैं । शैक्षणिक भ्रमण प्रभारी विनय खामगांवकर ने बताया कि भ्रमण के दौरान विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी व संस्था प्राचार्य राजेश कुमार सिन्हा  , प्रभारी प्राचार्य नरेन्द्र कुमार सिर्वी , लक्ष्मणसिंह जामोद , दिनेश डावर , जीवन अलावा , जगदीशचंद्र गुप्ता ,  नीतेश गोयल , दुर्गा जामोद , मोहनसिंह भिड़े , गौरव सोनी , महेश वास्के ,  नारायण गुप्ता , आनन्द पाण्डेय , केशर देवड़ा , आशा वर्मा , गोविन्द सवनेर , शर्मिला सोलंकी , निशा सिर्वी , विजय जारेवाल , रेखा अलावा , अनिता भंवर , नरसिंह मौर्य , वीरूसिंह भिड़े , राजनंदिनी राठौर आदि के मार्गदर्शन में छात्राओं ने जहाज महल , हिंडोला महल , चम्पा बावड़ी , रानी रूपमती महल , नीलकंठेश्वर महादेव , चतुर्भुज श्रीराम मन्दिर  , इको प्वाइंट , जामी मस्जिद आदि ऐतिहासिक इमारतों तथा स्थलों को देखा । चतुर्भुज श्री राम की चार भुजाओं वाली प्रतिमा का अपना इतिहास है। वनवासी स्वरूप में मूर्ति के नीचे संवत् 957 लिखा है श्रीराम के हाथों में धनुष, बाण , माला और कमल है। चरण पीठ पर 7 वानर विराजमान हैं । संवत् 1823 में पुना महाराष्ट्र के महंत 1008 श्री श्री रघुनाथदास महाराज को स्वप्न आया कि मांडू की पूर्व दिशा में गुलर के वृक्ष के नीचे भैरव प्रतिमा है उस प्रतिमा के नीचे तलघर है जिसमें चतुर्भुज स्वरूप में इसी विग्रह से युक्त प्रतिमा जनकल्याण हेतु स्थापित होने की मैं प्रतीक्षा कर रहा हूं । संस्था की छात्र परिषद अध्यक्ष मंतशा यूसुफ अगवान तथा पर्यटन सचिव मोनिका मंडलोई ने मांडू की यात्रा के पश्चात बताया कि धार जिले के ऐतिहासिक महत्व के मांडव का भ्रमण हमारे छात्र जीवन  का एक यादगार दिन रहेगा ।

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