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सुख संतान से नही हमेशा कर्मों से प्राप्त होते है : कथाचार्य राजेंद्र द्विवेदी

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दाताहरी वाटिका में सात दिवसीय भागवत कथा का हुआ शुभारंभ

कुक्षी

                 भागवत कथा आखें मिचने के बाद मुक्ति नही देगी बल्कि जीवन में काम, क्रोध, लोभ मोह से मुक्ति ही सच्ची मुक्ति होगी भागवत जिन्दा को मुक्त करती है मरने के बाद मुक्ति  के लिए नही है।यह बात दाताहरी वाटिका में श्राद्ध पक्ष में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन कानपुर उत्तर प्रदेश के प्रख्यात कथाचार्य पंडित राजेंद्र द्विवेदी ने कही. उन्होंने आगे कहां की आपका शरीर, बुद्धि, धन, यदि सेवा में लगा हो तों अहंकार मत करना ईश्वर का एहसास मानना की उसने हमारे तन मन धन को समाज की सेवा में लगाने का अवसर दिया है. मनुष्य का शरीर ईश्वर की कृपा है यह अन्न में पैदा हुआ और अन्न में विलीन हो जाना है.भक्ति की सार्थकता तभी सिद्ध होगी ज़ब हम इन्हे हम अपने जीवन और व्यवहार में धारण करें दिखावट, सजावट और बनावटी होकर परमात्मा को प्राप्त नही कीया जा सकता और न ही संतान से सुख प्राप्त होता है सुख हमेशा कर्मों से प्राप्त होता है।इसके पूर्व दाताहरी मंदिर में पूजा आरती के साथ भागवत पोथी का चल समारोह ढोल ढंमाको के साथ नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुये कथा स्थल वाटिका पहुंचा। इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान कृष्णकांत गुप्ता, वरिष्ठ समाजसेवी महेंद्र सेठ गुप्ता, बाबूलाल गुप्ता, राजेंद्र गुप्ता एसडीओ, अनिल गुप्ता,महेंद्र गुप्ता (निम्बोल )अमृतलाल गुप्ता, एडवोकेट राजेंद्र गुप्ता, प्रफुल्ल मधुप,राधेश्याम गुप्ता,सूर्यकान्त गुप्ता, अनिल गुप्ता,आलोक गुप्ता, दीपक गुप्ता, नारायण गुप्ता,नीरज गुप्ता, दीपक गुप्ता,संजय गुप्ता,राजेश गुप्ता आदि समाजजन मौजूद थे।

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