बिलाल खत्री
अलीराजपुर। आगामी शारदीय नवरात्रि पर्व को लेकर राठौड़ समाज में खासा उत्साह देखा जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को राठौड़ समाज धर्मशाला में आयोजित एक सामान्य बैठक के दौरान सर्वसम्मति से वीरदुर्गादास गरबा मंडल समिति का गठन किया गया। बैठक की अध्यक्षता समाज अध्यक्ष महेन्द्र टवली ने की।
बैठक में समाजजनों द्वारा यह निर्णय लिया गया कि इस वर्ष भी गरबा महोत्सव को पारंपरिक भव्यता एवं धार्मिक आस्था के साथ मनाया जाएगा। तय किया गया कि गरबा आयोजन प्रतिदिन रात्रि 9:00 बजे से 12:00 बजे तक किया जाएगा। समिति द्वारा बताया गया कि राठौड़ समाज द्वारा बीते 8 वर्षों से यह आयोजन निरंतर सफलतापूर्वक किया जा रहा है, जो अब समाज की एक गौरवपूर्ण परंपरा बन चुका है।
मीडिया प्रभारी कांतिलाल राठौड़ ने बताया कि नवगठित समिति मे अध्यक्ष: राजेश सेठ (राठौड़ बस सर्विस)
उपाध्यक्ष: कृष्णकांत चौधरी
कोषाध्यक्ष: बद्रीलाल चौधरी
सचिव: सचिन रामेश्वर राठौड़ सह सचिव: पवन संतोष राठौड़
मीडिया प्रभारी: कांतिलाल राठौड़ को पदाधिकारी नियुक्त किए गए।
इसके पूर्व वीर दुर्गादास समिति के कोषाध्यक्ष राहुल राठौड़ ने 2024 का हिसाब पेश किया इसके बाद नवीन समिति का गठन किया गया।
आयोजन की बेहतर व्यवस्था के लिए बनी उप समितियाँ
गरबा आयोजन को सुचारु एवं व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने हेतु विभिन्न उप समितियों का भी गठन किया गया, जिनमें चंदा समिति, चल समारोह समिति, पंडाल व्यवस्था समिति, प्रसादी समिति तथा साउंड समिति प्रमुख रूप से शामिल हैं।
समाजजनों ने लिया सहयोग का संकल्प:बैठक में कांतिलाल पार्षद, श्याम सेंडी, लोकेश राठौड़, राहुल राठौड़, रमेशचंद्र राठौड़, जगदीश राठौड़, जितेन्द्र राठौड़, राघवेंद्र राठौड़, कमलेश चौधरी, यतेन्द्र चौधरी, प्रशांत राठौड़, आशुतोष राठौड़, प्रदीप राठौड़, मोतीलाल राठौड़, जेंतिलाल राठौड़, विजय राठौड़, पवन डायमंड, हितेंद्र राठौड़, किर्तेश राठौड़, संदीप राठौड़ सहित समाज के अनेक युवा एवं गणमान्यजनों की उपस्थिति रही।
सभी ने आयोजन को सफल बनाने के लिए तन-मन-धन से सहयोग देने का संकल्प लिया। बैठक में यह भी तय किया गया कि गरबा आयोजन के माध्यम से सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा।
समाज अध्यक्ष महेन्द्र टवली ने सभी समाजबंधुओं को नवरात्रि महोत्सव में सक्रिय भागीदारी निभाने का आह्वान किया और कहा कि “यह आयोजन न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करता है, बल्कि समाज को एकजुट करने का भी सशक्त माध्यम है।