बदायूं में मुलायम सरकार के दौरान 2004-05 व 2005-06 में हुए दवा खरीद घोटाले में आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू ) ने एफआईआर दर्ज की है। यह एफआईआर ईओडब्ल्यू के लखनऊ सेक्टर में दर्ज हुई है। इसमें तीन तत्कालीन सीएमओ समेत सात लोगों को नामजद किया गया है।
जानकारी के अनुसार ईओडब्ल्यू को इस पूरे मामले की जांच 2007 में सौंपी गई थी। शिकायत थी कि बिना मांग के सरकारी अस्पतालों के लिए ऐसे मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदी गईं जो उत्तर प्रदेश ड्रग्स एंड फार्मासुटिकल कंपनी लिमिटेड (यूपीडीपीएल) से अधिकृत वितरक ही नहीं थीं। इस मामले की जांच में ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने पाया कि बड़े पैमाने पर बदायूं के स्वास्थ विभाग के कर्मियों की मदद से सरकारी धन का जमकर बंदरबांट किया गया।
ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया कि बदायूं जिला चिकित्सालय में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद पर रहते हुए डॉ. हरीराम, डॉ. एमपी बंसल, सुधाकर द्विवेदी, एसएमओ स्टोर सीपी सिंघल, फार्मासिस्ट अनुपम कुमार दुबे ने आगरा के मीनाक्षी मेडिकल स्टोर व दाऊ मेडिकल एंड सर्जिकल सेंटर के प्रोपराइटर राजेश चौरसिया से मिलीभगत कर लाखों रुपये की हेराफेरी दवा खरीद के नाम पर की गई। यानी दवा की आपूर्ति के बिना बिल लगते रहे और उसका भुगतान होता रहा।
खासबात यह रही कि अधिकतर भुगतान 50 हजार रुपये से कम की बिलिंग पर हुए ताकि यह घोटाला पकड़ में न आने पाए। इतना ही नहीं किसी जिले के सरकारी चिकित्सालय को किसी भी दवा की जरूरत होती है तो इसकी मांग यूपीडीपीएल को भेजी जाती है। लेकिन जिस अवधि में यह घोटाला किया गया उस अवधि में यूपीडीपीएल लखनऊ के अभिलेखों में ऐसा कोई मांग पत्र भी बदायूं के मुख्य चिकिस्ताधिकारी की ओर से नहीं पाया गया और न ही कोई डायवर्जन आगरा के उक्त मेडिकल स्टोर को किया गया।