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छोगाला सरकार के रंग में रंगने को तैयार हुआ श्रीचारभुजाधाम खट्टाली भक्ति के हिलोरे लेता हर भक्त होगा प्रभु की भक्ति में लीन। जिले का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन अन्य प्रदेशों से हजारो की संख्या में आते हे श्रद्धालू

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  बिलाल खत्री                                                           

बड़ी खट्टाली ।  करीब एक माह से चली आरही तैयारिया आज लेगी अंतिम रूप। चारभुजा धाम बड़ी खट्टाली कार्यक्रम की शुरुआत  सुबह 06:00 बजे मंगला आरती से होगी पश्च्यात प्रभात फेरी निकाली जाएगी। चारभुजा धाम खट्टाली में मनाया जाने वाले डोल ग्यारस पर्व  (देव झुलनी एकादशी पर्व )की तैयारियां पूर्ण हो चुकी है। 14 सितंबर शनिवार को ग्राम खट्टाली के चारभुजा मंदिर प्रांगण में आस्था का सैलाब हिलोरे लेगा इस हेतु चारभुजा महोत्सव समिति ने सभी तैयारियों को अंतिम रुप दे दिया है। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 6:00 बजे से हो जाएगी। ग्राम खट्टाली की पहचान बन चुका डोल ग्यारस पर्व इस बार 14 सितंबर शनिवार को मनाया जा रहा है। 9:00 बजे श्रंगार आरती के पश्चात क्षेत्र से निकलने वाली पदयात्रा का ग्राम खट्टाली में प्रवेश शुरू हो जाता है तथा ग्राम की सड़कों पर आस्था का सेलाब पृगट होने लगता है। दोपहर के ठीक पुर्व 11:30 बजे ध्वजारोहण होगा। ध्वजारोहण कार्यक्रम जो कि करीब 11 बंदूको की सलामी देकर होता है। जिसे हर कोई देखकर अभिभूत होता है। ध्वजारोहण के पश्चात राजभोग आरती होती है जो दोप 01:00 बजे होगी। जिसमे भगवान को फलहारी छप्पन भोग लगाया जाता है। इस वक्त तक तो मानो गांव की सभी सडको पर भक्तो की भीड दिखाई देने लगती है। 
यहाँ विशेष बात यह है कि यहां मिलने वाला (मठडी,सागर,लड्डू) का प्रसाद जो कि राजस्थान सांवरिया सेठ के मशहूर कारीगरों द्वारा तैयार किया जाता है। श्रद्धालु मंदिर में दर्शन उपरांत सशुल्क प्राप्त करते है ।
दोपहर 4:00 बजे उत्थापन आरती होती है, और आरती के ठीक पश्चात “आलकी के पालकी.. जय कन्हैया लाल की के जयघोष के साथ  शुरू होता हे चल समारोह। जिसमे हाथी, घोडे, बग्घी पर भगवान चारभुजा नाथ निकलते है जलक्रिडा करने।
जुलुस के अग्रभाग मे भजनो की सुन्दर प्रस्तुती देते बेन्ड, नृत्य करते अश्व के पिछे होता है श्रध्दालुओ का सेलाब, इस माहोल मे उडती रंग बिरंगी गुलाल से सारा माहोल उस ऐतिहासिक दृश्य को उपस्थित कर देते है। जिसका लाभ लेने के लिए ना जाने कहाँ..कहाँ से लोग यहाँ पहुँचते है। श्रध्दालु अपनी मनोकामना लेकर उक्त चारभुजा नाथ के मंदिर में आते है। ग्रामीणों व बुजुर्गों का मानना है की इस मंदिर में आकर जो भी मन से जो माँगता है उसकी मनोकामना इस पर्व के दिन पूरी होती है। ग्राम के प्रमुख मार्गो से गुजर कर यह काँरवा हथनी नदी किनारे पहुँचता है, जहा होता है,” भगवान का जलाभीषेक”। जलाभिषेक कर भगवान को आलकि की पालकी के जय घोष के साथ नदी तट पर महा आरती का आयोजन किया जाता हे रंगीन फटाके की चमक बैंड की धुन श्रदालु का मन मोह लेती हे आरती के बाद पुनः चल समारोह चारभुजा मंदिर पहुँचता हे ,जहाँ पर महाआरती का आयोजन किया जाता व महाप्रसादी का आयोजन किया जाता व रात्रि में भजन का आयोजन किया जाएगा जिसमे राजस्थान की आर्केस्ट्रा टीम  मनोज खींची की पूरी टीम भजनों का रसपान  कराएँगी।रात्रि में शयन आरती के बाद केशरिया दूध प्रसादी भक्तो को दी जाती है।ग्राम में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए समस्त समाज जन काफी सक्रिय रहते है। विशेष रूप से श्री चारभुजानाथजी  की पोषक कलाकारो द्वारा करीब दो महीनों  के परिश्रम से तैयार की गई है ।
सुरक्षा इंतजाम……

स्थानीय चौकी प्रभारी ने बताया की ज़िला पुलिस अधीक्षक राजेश व्यास के सफल मार्गदर्शन में सम्पूर्ण व्यवस्था देखी जा रही है। जोबट अनुभाग के एसडीओपी नीरज नामदेव व चौकी प्रभारी पूरे स्टाफ़ के साथ घूमकर सारी व्यवस्थाओं का जायज़ा ले रहे है। बाहर से आने वाले वाहनो की पार्किंग व्यवस्था भी की जा रही है। आयोजन को सफल बनाने व धर्मलाभ हेतु चारभुजा महोत्सव समिति ने आव्हान किया है कि अधिक से अधिक संख्या में पधार कर धर्मलाभ लेवे।     

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