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स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत’’ अभियान कि धज्जियां उडाता स्वास्थ विभाग

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जिस अस्पताल मे मरीज ठीक होने जाते हे वही अस्पताल बीमारू नजर आ रहा हे

                                                               अस्पताल मे हो रहे हे मच्छर

अस्पताल का सामान हो रहा कबाडखाने जैसा

 धार इकबाल खत्री 
                       डही – कुक्षी  – शासन द्वारा स्वास्थ से जुड़ी विशेष महत्वाकांक्षी योजना 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के रूप में अभियान चलाया जा रहा था । जिसमे स्वास्थ केन्द्रो मे भी स्वछता अभियान चलाया गया था।

वही डही के सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र डही स्वयं हि बिमारू हालात मेे नजर आ रहा है। जिलेभर में जहां डेंगू व मलेरिया के मरीजो कि संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, 

वही स्वास्थ विभाग के अधिकारी ओर उनकी सेवा करने वाले इस पखवाडे के प्रचार प्रसार में फोटो खिचवाने मे इनका कोई जवाब नही, इससे अंदाजा लगाया सकता हैं कि यहां मात्र औपचारिकता निभाते हुए महत्वाकांक्षी योजना की उपेक्षा की जाकर  योजना को कागजों पर सिमटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डही में देखने को मिल रहा है।

इसी विभाग के द्वारा प्रचार प्रसार करते हुए देखा गया है कि अपने अपने घरों के आस पास गन्दगी ना होने दें तथा बारिश के मौसम में खुले आसमान तले अनुपयोगी टायर, एवं अन्य व्यर्थ खाली बर्तनो को ना रखे, यहां अस्पताल के कबाड को महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय के पास खुले में पटक रखा है,। जिसमें कूलर,पानी की टंकी, सहित टायर व अन्य सामान है। इनमें बारीष का पानी भरने के साथ मच्छर पनप रहे है। गंदगी फैल रही है, जंग लगे लोहे का सामान भी यही पडा हुआ है, कभी भी आने जाने वालो को गम्भीर चोट लग से सकती जिससे टिटनेस का खतरा भी हो सकता है।

स्वास्थ विभाग के जिम्मेदारो ने टुटी फुटी सामाग्री कुर्सी टेबल लोहे के कबाड के साथ अन्य सामान भी खुले में पटक रखा है,और वर्तमान में गंदगी का सबब बना हुआ है।लेकिन यह सबकुछ जिम्मेदारो को नजर नही आ रहा है।

बारिश के कारण पुराने महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय की छत से पानी टपकने के कारण यही से संचालीत हो रहा है जिससे यहां पर रोजाना कर्मचारी व आंगनवाडी कार्यकर्ताओं का आना जाना लगा रहता है, इसी विभाग ने सामान हटाने के लिए स्वास्थ विभाग के अधिकारी को सुचना भी दे दी गई थी ओर उन्हे 10 सितम्बर तक सामान हटाने का भी बोल दिया गया था। लेकिन छोटे विभाग के कर्मचारी की बात बडे विभाग के अधिकारी ने कब मानी है जो अब मानेगें, अधिकारीयों कि तो अपने चेले चपाटी से संग सुहानी षाम ढलती है बस फिर कब सुबह हो जाती ये पता भी नही रहता है और सुबह हो जाती है।

एंबुलेंस भी हो रही कबाड।

मरीजो की जान बचाने वाली एुुंबलेंस स्वयं की जान बचाने को लेकर कई महिनो से रास्ता देख रही है। एंबुलेंस भी कई महिनो से एक हि स्थान पर खडी है। इसके बारे में विषेषसुत्रो ने यह जानकारी दी गई कि अगर एम्बुलेंस ठीक होती है तो अधिकारीयों को नुकसान उठाना पड सकता है। अब यह देखना है की नुकसान किस प्रकार का होता है।

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