पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए आज किस्मत के फैसले का दिन है। नेशनल असेंबली के गणित को देखते हुए पूरे आसार हैं कि इमरान को आज सत्ता गंवानी पड़ेगी। ऐसा होता है तो इमरान एक अनचाही लिस्ट में शामिल हो जाएंगे। 1947 से अब तक पाकिस्तान का कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।  कभी सेना ने तख्तापलट किया तो कभी कोर्ट ने प्रधानमंत्रियों को अयोग्य घोषित कर दिया। एक बार तो ऐसा भी हुआ जब मौजूदा प्रधानमंत्री की हत्या कर दी गई। अब तक चार सेना प्रमुख पाकिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर चुके हैं। इसके अलावा कई बार सेना द्वारा सत्ता हथियाने की कोशिश कर चुकी है। इस वजह से तीन दशक से ज्यादा समय तक पाकिस्तान में सेना का शासन रहा है। आइये जानते हैं  बीते 75 साल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों को कब और कैसे सत्ता से बेदखल होना पड़ा…
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं कराने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अपने फैसले में इमरान खान को नेशनल असेंबली में नौ अप्रैल 2022 को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराने के लिए कहा था। हालांकि देर रात जब मतदान हुआ तो इमरान खान की कुर्सी चली गई। इमरान पाकिस्तान के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से पद से हटाए गए हैं। जब वोट की गिनती पूरी हुई तो पता चला कि विपक्ष को 174 वोट मिले हैं। इसी के साथ इमरान खान की सरकार गिर गई। गौरतलब है कि 342 सदस्यीय असेंबली में सरकार बनाने के लिए 172 सदस्यों की आवश्यकता होती है। विपक्ष को 174 वोट मिलने के साथ ही शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। शहबाज शरीफ पंजाब प्रांत के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान अस्तित्व में आया। लियाकत अली खान देश के प्रधानमंत्री बने। लियाकत चार साल 63 दिन तक प्रधानमंत्री रहे। वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। 6 अक्टूबर 1951 को रावलपिंडी के कंपनी बाग में एक सभा को संबोधित कर रहे लियाकत अली की हत्या कर दी गई।  
 ख्वाजा निजामुद्दीनलियाकत अली की हत्या के बाद ख्वाजा निजामुद्दीन ने प्रधानमंत्री बने। करीब डेढ़ साल बाद ही उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। निजामुद्दीन महज एक साल 182 तक ही पद पर रह सके। उन्हें 17 अप्रैल 1953 को निजामुद्दीन को सत्ता से बेदखल कर दिया गया। तत्कालीन गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मुहम्मद ने लाहौर और पूर्वी पाकिस्तान में फैले दंगों को काबू नहीं कर पाने के आरोप में निजामुद्दीन पर ये कार्रवाई की।