बिरला ने कहा, “चर्चा, बहस संसदीय लोकतंत्र के महत्वपूर्ण अंग हैं। बहस के दौरान व्यंग्य, एक-दूसरे पर कटाक्ष करना भी स्वीकार्य है। लेकिन संसद में अनावश्यक आक्रामकता, चिल्लाहट और एक-दूसरे को बाधित करने से बचना चाहिए।
Om Birla: लोकसभा स्पीकर ने ‘चर्चा’ और ‘बहस’ को बताया लोकतंत्र का आभूषण, बोले- भड़काऊ बयान देने से बचें सांसद
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