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मनरेगा योजना से बंजर जमीन में लगाया आम का बगीचा

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खरगोन ।स्व सहायता समूह की महिलाओं की मेहनत से हुई लाखों की कमाई

  कहते हैं अगर आदमी की खून पसीने की मेहनत बंजर जमीन को भी हरियाली में बदल सकती है।


जिला ब्यूरो इक़बाल खत्री 

      ऐसा ही कुछ सपना साकार हुआ है झिरन्या जनपद की ग्राम पंचायत देवीतबुजुर्ग में। यहां पर बंजर पड़ी जमीन में मनरेगा योजना से आम का बगीचा लगाकर स्व सहायता समूह द्वारा लाखों की कमाई की जा रही है।

     कहानी शुरू होती है 2018 में जब मनरेगा योजना से वृक्षारोपण लगाने की बात चली ऐसे में अपर वेदा डैम के नीचे बंजर पड़ी जमीन जिसका कोई उपयोग नहीं होता था।  इस जमीन को ग्राम पंचायत ने आम का बगीचा लगाने के लिए चुनाव किया। यहां पर भूमिका आजीविका स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा 1875 पौधे लगाए गए। इन पौधों की देखरेख का पूरा जिम्मा ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा योजना से 15 लाख 33 हजार की राशि दी गई। अब यह बगीचा आम के फलों से लदे है इस वर्ष बगीचे ने अच्छी कमाई की है। 

        स्व समूह की अध्यक्ष श्रीमती टीना बाई, सचिव सीमा बाई व अन्य सदस्य  मुन्नी बाई, सुनीता बाई, राधाबाई, भगवती बाई द्वारा आम के बगीचा के फलों को देखकर बहुत ही खुशी जाहिर करते हुए बताया कि हमें मनरेगा योजना से मजदूरी और सामग्री मिल रही हैं। इस वर्ष आम के रसीले फल बेचकर लगभग 01 लाख 80 हजार रुपए की कमाई हुई है। देवत बुजुर्ग के सचिव विशाल जायसवाल ने बताया गया कि आम बगीचे की काफी देखभाल की जा रही है,  यहां पर आधुनिक तकनीक सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन, खाद दवाई का उपयोग भी कर रहे हैं। यह बहुत ही हरा भरा हो गया है। महिलाओं द्वारा इनमें निरंतर काम किया जा रहा है। 

       परियोजना अधिकारी श्याम रघुवंशी द्वारा बताया गया कि आम की उन्नत वैरायटी दशहरी, लंगड़ा, चौसा को इस प्रोजेक्ट में लगाया गया है। ताकि महिलाओं को इससे अच्छी आय हो सके। आने वाले समय में बगीचे से समूह को 8 से 10 लाख रुपए की आय हो सकती है। देवीत बुजुर्ग में लगाए गए इस सामुदायिक वृक्षारोपण की हरियाली देखते ही मन को मोह लेती है। जब गर्मी में 47 डिग्री तापमान हो जाता है तो यह यह बगीचा ही ठंडक पैदा करने का काम करता है तथा यहां के रसीले आम अब आसपास के बाजारों में पहुंचने के लिए तैयार है। स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा यहां पर सामुदायिक पोषण वाटिका के रूप में सब्जी उत्पादन का काम भी लिया जा रहा है। वर्तमान में बैगन, लौकी गिलकी की सब्जियों की फसल लहरा रही है। विगत 5 वर्षों में इस समूह को प्रोजेक्ट पर मनरेगा योजना से 11.75 लाख की मजदूरी वह 3.58 लाख की सामग्री दी गई है। सरपंच राधे श्याम दंगोड़े द्वारा बताया गया कि वर्तमान में यहां पर आम के 1632 पौधे जीवित होकर विशाल वृक्षारोपण तैयार हो चुका है। अब आने वाले समय में इसमें ज्यादा लागत नहीं होगी तथा यह एक जीवन भर स्थाई आजीविका स्रोत होगा।

      जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आकाश सिंह द्वारा बताया गया कि बंजर जमीन का सदुपयोग मनरेगा योजना से वृक्षारोपण लगाकर किया जा सकता है। इस वर्ष भी ग्राम पंचायत के महिला स्व सहायता समूह को फलदार पौधारोपण एवं बांस रोपण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। बांस रोपण व फलदार पौधों के रोपण से समूह को आने वाले 30 से 40 साल तक लगातार आय होगी। नए वृक्षारोपण तैयार करने तथा समूह को लाभ देने के लिए सभी जनपद पंचायत को निर्देश दिए गए हैं। बंजर जमीन का सदुपयोग मनरेगा योजना से लागत और महिलाओं की मेहनत ने दिखाया है। ऐसे प्रोजेक्ट आने वाले समय में कई ग्राम पंचायत में छोटे-छोटे स्व सहायता समूह को अपनी आय बढ़ाने दीदियों को लखपति बनने में बहुत ही सहायक सिद्ध होंगे। यह प्रोजेक्ट सरकार की पर्यावरण सुधार कर लखपति दीदी बनाने की मनसा को जाहिर करता है।

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