संभाग ब्यूरो बिलाल खत्री
बड़वानी शिक्षक वह प्रकाश है, जो अज्ञानता के अंधकार को दूर करके छात्रो के जीवन में ज्ञान, मार्गदर्शन और उज्जवल भविष्य का प्रकाश फैलाते है। बड़वानी जिले के दो दिव्यांग शिक्षक दम्पति सीमा पाटीदार एवं वर्दीचन्द्र पाटीदार शिक्षको के त्याग और निस्वार्थ सेवा को सही अर्थो में चरितार्थ करते है।

सीमा पाटीदार का जन्म धार जिले की धमनोद में हुआ। जन्म से वह पूरी तरह स्वस्थ्य थी, लेकिन कक्षा 3 में पहुंचने पर अचानक उनकी आँखों की रोशनी कम होने लगी। उनके माता-पिता ने हर संभव प्रयास किया पर उनकी आँखों की रोशनी वापस नहीं आ पायी। माता-पिता उनके भविष्य को लेकर काफी चिंतित रहने लगे, फिर किसी जानकार ने उन्हें ब्लाइंड स्कूल के बारे में बताया। आगे की पढ़ाई उन्होने देवास के दिव्यांग कन्या केंद्र से की और वर्ष 2006 में उनका चयन शिक्षक के पद पर हुआ।
वर्दीचंद्र पाटीदार का जन्म रतलाम जिले के कृषक परिवार में हुआ। बचपन में घटित एक घटना से घायल होने के कारण उन्होंने बचपन में ही अपनी आँखों की रोशनी खो दी थी, जिसके पश्चात् संघर्ष कर उन्होंने शिक्षा प्राप्त कर वर्ष 2006 में शिक्षक परीक्षा पास की। वर्ष 2004 में दोनों का विवाह हुआ और वर्ष 2006 से बड़वानी जिले के पाटी विकासखंड में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
दोनों दिव्यांग शिक्षक पूर्ण तन्मयता से विद्यार्थियों को इतने वर्षों से समर्पित भाव से शिक्षा का ज्ञान बाट रहे है
इनके पास अध्यापन कार्य हेतु सामान्य पुस्तको के स्थान पर विशेष ब्रेल लिपि की पुस्तके उपलब्ध है। जिसके माध्यम से वह विद्यार्थियो के अध्यापन का कार्य करते है। वह अपनी सुनने की क्षमता एवं अनुभव का प्रयोग करके छात्रो को प्रभावी ढंग से पढ़ाते है।
अत्यंत ही सहज व्यक्तित्व के धनी उक्त दोनों ही पति-पत्नी एक सामान्य जीवन जीते हुए
समय-समय पर विद्यार्थियों को अपना सकारात्मक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। वर्दीचंद्र एवं सीमा अपनी दिव्यांग के बावजूद समाज के लिए एक प्रेरणा हैं कि शारीरिक अक्षमता किसी भी लक्ष्य को पाने में बाधा नहीं बन सकती। बच्चे उनसे केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला और चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा भी लेते हैं।