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कुर्बानी का त्यौहार ईद-उल-अज़ा आज देश भर में हर्षोल्लास और अकीदत के साथ मनाया जा रहा है…

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 भोपाल / हज़रत इब्राहिम अलै. और हज़रत इस्माईल अलै. की याद में कुर्बानी का त्यौहार ईद-उल-अज़ा जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है आज देशभर में हर्षोल्लास, परंपरागत और अकीदत के साथ मनाया जा रहा है राजधानी की ऐतिहासिक ईदगाह में ईद-उल-अज़ा की नमाज़ सबसे पहले सुबह 7 बजे पढ़ाई गई इसके बाद जामा-मस्ज़िद में 7-15 बजे, ताजुल-मसाज़िद में 7-30 बजे, मोती मस्ज़िद में 7-45 बजे, मस्ज़िद चार-मीनार ऐशबाग में 7-15 बजे और बड़ी मस्ज़िद बाग फरहत अफज़ा में 9 बजे ईद की नमाज़ अदा की गई इसके साथ ही राजधानी भोपाल की सभी प्रमुख और बड़ी मस्ज़िदों में ईद की नमाज़ अदा की गई नमाज़ अदा करने के बाद मुस्लिम समाज के लोगो ने गले मिलकर एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। इसके बाद जानवरो की कुर्बानी का सिलसिला शुरू हुआ और जानवरो की कुर्बानी लगातार 3 दिनों तक की जाएगी। हर साहिबे-निसाब के ऊपर कुर्बानी करना वाजिब है अगर किसी के पास इतना इंतज़ाम नही है की वो एक छोटा जानवर खरीदे तो शरीयत में उसका भी हल बताया गया है की 7 लोग मिलकर एक बड़ा जानवर खरीद ले इसमें भी सबकी कुर्बानी हो जाएगी भारत मे अमूमन ऊंट, बकरा, दुम्बा, पड़ा, बोदा, भेड़ भैंस की कुर्बानी की जाती है जिसमे बकरा 1 साल का बोदा 2 साल का और ऊंट 5 साल का होना ज़रूरी है भोपाल नगर-निगम ने  इस दौरान अस्थाई पशु-वध बनाए है और साथ ही नगर-निगम ने साफ-सफाई के खास इंतज़ाम किए है हर मोहल्ले और सड़कों पर कंटेनर रखवाए गए है ताकि जानवरो का वेस्ट-मटेरियल (खराब चीज़े) कंटेनर में डाली जाए यहाँ-वहाँ ना फेंके जाए भोपाल नगर-निगम ने कुर्बानी करने वाले मुस्लिम समाज के लोगो से शहर को साफ-सुथरा रखने की अपील की है।

इस्लाम मे जानवर की कुर्बानी करने का खास महत्व बताया गया है इस्लाम की अफ़ज़ल और मुकद्दस किताब क़ुरआन में भी कुर्बानी का ज़िक्र बहुत ही एहतमाम से ज़िक्र किया गया है इस्लाम के आखिरी पैगम्बर हज़रत मोहम्मद सल्ल. ने कई हदीसो में कुर्बानी का ज़िक्र फरमाते हुए अपने सहाबा (अनुयाइयों) से इर्शाद फ़रमाया की अल्लाह ने जब इब्राहिम अलै, को अपनी मेहबूब चीज़ को अल्लाह के लिए कुर्बान करने का ख्वाब दिखाया तो इब्राहिम अलै, ने 100 ऊंटों की कुर्बानी की उसके बाद भी अल्लाह की तरफ से हुक्म हुआ अपनी सबसे मेहबूब चीज़ हमारे नाम पर कुर्बान करो तो हज़रत इब्राहिम अलै, समझ गए की अल्लाह मेरे बेटे इस्माईल की  कुर्बानी माँग रहे हैं और मुझे इस्माईल बहुत ही मेहबूब है  लिहाजा इब्राहिम अलै, ने इस ख्वाब का ज़िक्र जब अपने बेटे से किया तो उनके बेटे हज़रत इस्माईल अलै, ने अपने बाप से कहा अब्बाजान आप कर डालिए जिसका आपको अल्लाह ने हुक्म दिया गया है इंशाअल्लाह आप मुझे सब्र करने वालो में से पाएंगे। इसके बाद इस्माईल अलै, की माँ ने उनको नहलाया और नए कपड़े पहनाकर इब्राहीम अलै, के हवाले कर दिया हज़रत इब्राहिम अलै, अपने बेटे को लेकर मिना पहुंचे और एक पहाड़ की जड़ में हज़रत इस्माईल अलै, को ज़िब्ह करने की तैयारी करने लगे हज़रत इस्माईल अलै, ने अपने वालिद से कहा अब्बाजान आप अपनी आँखों पर पट्टी बाँध लीजिए कहीं ऐसा ना ही बेटे की मोहब्बत अल्लाह के हुक्म पर ग़ालिब आ जाए इसके बाद हज़रत इब्राहिम अलै, ने अपने बेटे के गले मे छुरी चलाना शुरू किया और इधर अल्लाह ने छुरी को हुक्म दे दिया की इस्माईल के गले पर ज़रा सी भी खरोंच ना आए अल्लाह के हुक्म ने छुरी के काटने की सिफत को खत्म कर दिया अल्लाह के हुक्म के मुताबिक छुरी इस्माईल अलै, के गले पर चल तो रही है लेकिन काट नही रही है दूसरी और आसमानों में फरिश्तों में कोहराम मच गया की ये क्या हो रहा है इधर इब्राहिम अलै, पूरी ताकत से  इस्माईल अलै, के गले पर छुरी चला रहे है इसके बाद अल्लाह ने हज़रत जिब्रील अलै, को हुक्म दिया की जन्नत से दुम्बा लेकर जाओ और इस्माईल को अलग करके इब्राहीम की छुरी के नीचे दुम्बा रख दो चुनाँचे जिब्रील अलै. ने फ़ौरन जन्नत से दुम्बा लिया इस्माईल अलै, को हटाया और दुम्बे को हज़रत इब्राहिम अलै, की छुरी के नीचे रख दिया यहाँ अल्लाह ने फिर छुरी को हुक्म दिया अब काट फ़ौरन ही हज़रत इब्राहिम अलै, के हाथों जन्नत से लाया हुआ दुम्बा ज़िब्ह हो गया। इसके बाद अल्लाह ने क़ुरआन में ऐलान कर दिया ऐ इब्राहिम तूने अपने ख्वाब को सच्चा कर दिखाया और हमने तुम्हारी कुर्बानी कुबूल कर ली है और अब हम तुम्हारी सुन्नत को कयामत तक के लिए जारी रखेंगे।

सहाबा किराम रज़ि. ने अल्लाह के नबी से पूछ ऐ अल्लाह के रसूल ये कुर्बानी क्या है तो आप सल्ल. ने इर्शाद फ़रमाया ये तुम्हारे बाप हज़रत इब्राहिम अलै. की सुन्नत है सहाबा ने फिर सवाल किया कुर्बानी करने पर हमें क्या मिलेगा तो आपने इर्शाद फ़रमाया हर बाल के बदले में एक नेकी मिलेगी सहाबा ने फिर दरयाफ्त फ़रमाया अगर जानवर ऊन वाला हो तो, आपने इर्शाद फ़रमाया हर ऊन के बदले में एक नेकी मिलेगी।

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