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डिप्तेश्वरी गुथरे ने क्षेत्रीय भिलाली बोली में वर्णमाला की तैयार,विश्व आदिवासी दिवस पर समाज के वरिष्ठों ने किया विमोचन

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बिलाल खत्री

अलीराजपुर विश्व आदिवासी दिवस के शुभ अवसर पर जिला स्तरीय कार्यक्रम में ग्राम देहदला की निवासी लोक लेखिका दिप्तेश्वरी गुथरे पिता मोहब्बत सिंह गुथरे के द्वारा क्षेत्रीय भिलाली बोली में बनाई गई वर्णमाला का जिला कोर कमेटी के वरिष्ठ सदस्यों ने वर्णमाला चार्ट का विमोचन किया गया है। 

    दिप्तेश्वरी गुथरे का कहना है कि इस वर्णमाला को बनाने का उद्देश्य बच्चों को पढ़ाई के प्रति रुचि जाग्रत करने में सहायक होगी । नई शिक्षा नीति एवं शिक्षाविद भी यही कहते है  बच्चों का शिक्षण अपनी मातृभाषा में होगा तो वह रुचि पूर्ण तरीके से शिक्षा प्राप्त करने के लिए तत्पर रहेंगे,साथ ही उनका आत्मविश्वास भी पढ़ाई के प्रति बढ़ेगा और वह अपनी शिक्षा को जारी रखने के लिए प्रेरित होंगे।

आदिवासी कर्मचारी अधिकारी संगठन (आकास) जिलाध्यक्ष भंगुसिंह तोमर ने कहा कि दिप्तेश्वरी गुथरे जी पिछले कई वर्षों से लगातार आदिवासी क्षेत्रीय बोली पर कार्य कर रही है,जिसमें वह आदिवासी क्षेत्रीय बोली कविताएं, कहानी, पहेलियां आदि लिखती है। वह  प्रति वर्ष भगोरिया हाट में विलुप्त होती जा रही सामग्रियों कि प्रदर्शनी भी लगाती है जिससे समाज के लोग अपनी संस्कृति का संरक्षण कर सके और स्वयं भी आदिवासी होने पर गर्व महसूस करें। दिप्तेश्वरी अपने द्वारा एक कुटीर उद्योग भी चला रहीं है जिसमें वह क्षेत्र कि साँस्कृतिक वस्तुओं को अपने समुह कि महिलाओं के साथ बनाती है और स्टाल के माध्यम से विक्रय भी करती है।पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर अपने द्वारा बनाई गई वस्तुएं भेंट कर चुकी है।उनके कार्य की प्रशंसा और सराहना की है।आदिवासी संस्कृति संरक्षण के प्रति उत्कृष्ट कार्य कर रही है और समाज किअन्य बेटियों को भी प्रेरित कर रही है ।

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