पंजाब के थर्मल प्लांटों में कोयले का संकट बरकरार है। शुक्रवार को थर्मल प्लांट में दो से 16 दिनों तक का ही कोयला बचा जबकि गोइंदवाल थर्मल प्लांट कोयला खत्म होने कारण पहले ही बंद पड़ा है।
शुक्रवार को पंजाब में अधिकतम मांग देर शाम तक 7451 मेगावाट दर्ज की गई। वहीं पावरकॉम के पास बिजली की उपलब्धता 3829 मेगावाट ही रही। ऐसे में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए पावरकॉम को बाहर से महंगे दामों में करीब 3400 मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ी लेकिन फिर भी बिजली की आपूर्ति के पर्याप्त न होने से शुक्रवार को गांवों में दो से तीन घंटे तक कटौती की गई।
शुक्रवार को रोपड़ थर्मल प्लांट में 9 दिनों का, लहरा मुहब्बत में छह, राजपुरा में 16, तलवंडी साबो में मात्र दो दिनों को कोयला बचा था। कोयले की कमी के चलते शुक्रवार को भी रोपड़ की दो, लहरा की दो, तलवंडी साबो की एक और गोइंदवाल की दोनों यूनिट बंद रहीं। इस तरह से सरकारी व प्राइवेट सेक्टर के पांच थर्मल प्लांटों की कुल 15 यूनिटों में से सात यूनिट बंद चल रही हैं।
दिन के समय बिजली की मांग में कमी रही लेकिन शाम होने तक मांग अचानक से 7400 मेगावाट के पार चली गई। माहिरों का मानना है कि इस समय पंजाब के थर्मल प्लांटों में जिस तरह का कोयले का संकट चल रहा है, उस हिसाब से धान सीजन में बिजली की बड़ी किल्लत पेश आ सकती है।