आरोप था कि कंपनी ने जनता से वसूली करके बैंक में राशि जमा नहीं की। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि दोनों पक्षों के बीच लिखित अनुबंध हुआ था। यह मामला पूरी तरह सिविल प्रकृति का है।