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खरगोन। बरसलाई में ड्रीप पद्धति से लगाई मूंगफली की फसल का निरीक्षण कर किसानों से की चर्चा |
इक़बाल खत्री
कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल द्वारा 16 अप्रैल को सनावद रोड़ खरगोन में स्थिति मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला का निरीक्षण किया और प्रति दिवस मिट्टी नमूनों की परीक्षण की जानकारी ली गई। इस अवसर पर उप संचालक कृषि शिवसिंह राजपूत, सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी रामशंकर जाट, सहायक संचालक कृषि दीपक मालवीय उपस्थित रहे।
इसके उपरांत क्षेत्र भ्रमण के दौरान कलेक्टर सुश्री मित्तल ने वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी बी.एस. सेंगर, प्रभारी वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी सुनिल मण्डलोई एवं विभागीय अमले की मौजूदगी में विकासखण्ड कसरावद के ग्राम बरसलाय में कृषक सुनिल ताराचंद यादव के खेत में ड्रीप पद्धति द्वारा लगाई गई मूंगफली की फसल का निरीक्षण किया एवं कृषक से चर्चा की गई। चर्चा के दौरान किसान द्वारा बताया गया कि 03 एकड़ में मूंगफली की फसल लगाई गई है। सिंचाई ड्रीप से की जाती है एवं कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल का उपयोग किया जा रहा है। मूंगफली फसल से 01 एकड़ में लगभग एक लाख रुपए तक का उत्पादन प्राप्त होता है।
कृषक द्वारा बताया गया कि मूंगफली खेत से ही बेच दी जाती है। इसके पश्चात ग्राम सावदा में कृषक गबु-भगवान पाटीदार के खेत पर पॉली एवं नेट हाउस से तैयार मिर्च एवं पपीता के पौधों का अवलोकन किया गया। कृषक ने चर्चा के दौरान बताया कि पूर्व में पपीता की खेती करते थे। आमदनी बढ़ने से क्षेत्र में पपीता का रकबा बढ़ने लगा, इसलिए पॉली हाउस में ही पपीता के पौधे तैयार करने लगे हैं। इसके पश्चात ग्राम माकड़खेडा में कृषक विवेक रमेशचंद्र डोंगरे के खेत पर ड्रीप विधि से मूंग व गन्ना फसल का अवलोकन किया गया। कृषक ने चर्चा के दौरान बताया कि मूंग की फसल कम अवधि में पककर तैयार होती है एवं बाजार मूल्य भी अधिक होने से किसानों को अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होती है। इसके साथ ही फसल कटाई उपरांत कपास फसल की बुवाई की जा सकती है। इस प्रकार कृषक वर्ष में तीन फसले लेकर अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
इसके पश्चात ग्राम कठोरा में कृषक तिलोक-गेंदालाल यादव के खेत में हरी खाद की फसल सनई का अवलोकन किया गया। कृषक द्वारा बताया गया कि विभाग की तकनीकी मार्ग-दर्शन में हरी खाद की फसल लगाई है। फुल वाली अवस्था में खेत में पलटा दिया जाता है। जिससे खेत में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ने के साथ-साथ कार्बन नाईट्रोजन अनुपात में सुधार होता है। जिससे आने वाली फसल में लाभ प्राप्त होगा। कृषक द्वारा 04 एकड़ में सनई फसल लगाई है। जिसमें बीज की मात्रा 15 किग्रा प्रति एकड़ लगना बताई गई है।