प्रतिभाशाली छात्रा देवप्रिया चौहान ने अपने साथियों से संवाद करते हुए कहा जीवन में सफलता के लिए आक्रामकता पर नियंत्रण रखकर सहनशील और संयमी बने

Jansampark Khabar
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संभाग ब्यूरो बिलाल खत्री

    बड़़वानी  आजकल युवा छोटी छोटी बातों पर उग्र हो जाते हैं. हर समय आक्रामकता ठीक बात नहीं है. ऐसा स्वभाव जीवन में आगे बढ़ने के मार्ग में बहुत बड़ी बाधा है. यदि आप सफलता चाहते हैं तो आक्रामकता पर नियंत्रण रखें, संयमी और सहनशील बनें। आक्रामकता प्रबंधन व्यक्तित्व विकास से सम्बन्धित महत्वपूर्ण कौशल है। इसमें निपुण बनिए. क्रोध हमारा सबसे बड़ा शत्रु है।


     योग और ध्यान, अच्छे साहित्य का अध्ययन आदि के द्वारा शांत स्वभाव का विकास किया जा सकता है. महान ऐतिहासिक और संघर्षशील व्यक्तियों के जीवन वृत्त का अध्ययन कीजिये। उनके जीवन में आये उतार-चढ़ाव बताएँगे कि अंतिम सफलता के लिए कितना परिश्रम करना होता है। स्वामी विवेकानन्द जी के इस वाक्य को अपने जीवन का सूत्र बना लीजिये कि उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्त होने तक चलते रहो।


       सफल व्यक्तियों से साक्षात्कार करो. उनके व्यक्तित्व के गुणों को आत्मसात करो. करियर का स्पष्ट लक्ष्य रखो और उसे प्राप्त करने के लिए अपनी सम्पूर्ण शक्तियां लगा दो। आध्यात्मिकता को भी अपनाओ. सादा जीवन और उच्च विचार की परम्परा को समझने की कोशिश करो. कर्म ही शाश्वत हैं, जो व्यक्तित्व को गरिमा तथा स्थायित्व देते हैं।


     ये बातें प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में अपने युवा साथियों से संवाद करते हुए वोकेशनल कोर्स व्यक्तित्व विकास की बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न छात्रा देवप्रिया चौहान ने कहीं. यह  आयोजन  प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य के मार्गदर्शन में हुआ।देवप्रिया से हुए प्रभावित परिचर्चा में उपस्थित विद्यार्थी देवप्रिया चौहान की धाराप्रवाह प्रस्तुति से प्रभावित हुए और उन्होंने भी प्रेरणा ली कि वे मंच भय से मुक्त होकर संवाद में सक्रिय साझेदारी करेंगे। देवप्रिया ने बताया कि करियर सेल द्वारा दिए जा रहे व्यक्तित्व विकास के प्रशिक्षण से उनमें बदलाव आया है।


        आत्मविश्वास और हिम्मत बढ़ी है तथा अब वे मंच से अपनी बात निर्भीकतापूर्वक कह लेती हैं। आयोजन में सहयोग वर्षा मुजाल्दे, दिव्या जमरे, भोलू बामनिया, कन्हैयालाल फूलमाली और डॉ. मधुसूदन चौबे ने किया।

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