![]() |
डिजिटली आगे बढ़े, ब्रांड बनाएं व एक्सपोर्ट को बढ़ावा दे- नाबार्ड सीजीएम श्रीमती सी. सरस्वती |
इक़बाल खत्री
खरगोन। नाबार्ड की मुख्य महाप्रबंधक सीजीएम श्रीमती सी. सरस्वती द्वारा 16 अप्रैल को खरगोन के मोमिनपुरा स्थित निमाड़फ्रेश कृषि विकास फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के कार्यालय एवं काबुली चना प्रोसेसिंग यूनिट, सोलर ड्रायर, रेसिडू फ्री मिर्च की नर्सरी का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान सहायक महाप्रबंधक सलिल ज़ोकरकर, जिला विकास प्रबंधक विजेंद्र पाटिल, कंपनी के डायरेक्टर बालकृष्ण पाटीदार, सोहन पाटीदार, दिलीप पाटीदार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी हरिओम भूरे, प्रमोटर डायरेक्टर गोपाल मित्तल, प्रवीण राठौर, संतोष पाटीदार, अन्यएफपीओ के निदेशकगण, 30 से अधिक किसान तथा निमाड़फ्रेश की पूरी टीम उपस्थित रही।
निरीक्षण के दौरान श्रीमती सरस्वती ने किसानों को प्रेरित करते हुए एफपीओ को सुझाव दिया कि अब निमाड़फ्रेश को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी सशक्त रूप से कार्य करना चाहिए। उन्होंने मोबाइल ऐप डेवेलपमेंट, उत्पाद बढ़ाने तथा ब्रांडिंग के माध्यम से बाज़ार में अपनी मजबूत पहचान बनाने की बात कही। विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि सीजीएम श्रीमती सरस्वती की उपस्थिति मे प्लांट पर मौजूद एक किसान सदस्य का चना निमाड़ फ्रेश के डायरेक्टर्स द्वारा उचित मूल्य पर खरीदा, जो अपना उत्पाद लेकर वहाँ पहुँचा था। इससे यह स्पष्ट संदेश गया कि नाबार्ड सदैव किसानों के हित में तत्पर है और हमेशा रहेगा।
सीजीएम श्रीमती सरस्वती ने अपने संबोधन में निमाड़फ्रेश को निर्यात क्षेत्र में कदम बढ़ाने तथा स्वयं की ब्रांडिंग के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान बनाने के लिए प्रेरित किया। इस दिशा में निमाड़फ्रेश ने आश्वस्त किया कि वर्ष 2025-26 में कंपनी 25-30 करोड़ रुपये का कारोबार करेगी और अधिक से अधिक किसानों को इससे लाभान्वित करेगी। निमाड़फ्रेश ने अब तक अपने 300 किसान सदस्यों का एक्सीडेंटल बीमा भी करवाया है, जिससे किसी भी आपात स्थिति में उन्हें आर्थिक सहयोग प्राप्त हो सके।
उल्लेखनीय है कि निमाड़फ्रेश केवल उत्पाद खरीद-बिक्री ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण कृषि इको सिस्टम डेवलपमेंट पर काम कर रही है। जिसमें मिट्टी की जाँच, रेसिड्यू फ्री (नर्सरी) पौधे तैयार करना, एग्रोनॉमी सेवाएं प्रदान करना और अंततः किसानों से उत्पाद खरीद कर उन्हें उचित लाभ देना शामिल है। निमाड़फ्रेश की यह पहल न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि एफपीओ मॉडल को भी सफल एवं टिकाऊ दिशा प्रदान करेगी।