इक़बाल खत्री 

       खरगोन । पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं यूनिवर्सिटी के आपसी सहयोग से पर्यावरण संरक्षण, दुर्लभ,संकट ग्रस्त पेड़ पौधों के संरक्षण की अनूठी पहल

        पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा क्रांति सूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय के आपसी सहयोग से खरगोन की सिनखेड़ा ग्राम पंचायत में बोटैनिकल गार्डन का निर्माण किया जाएगा । इस गार्डन में ऐसी प्रजाति का रोपण किया जाएगा जो की विलुप्त, संकटग्रस्त  व दुर्लभ है। बोटैनिकल गार्डन के निर्माण के लिए मनरेगा योजना से 8 लाख 74 हजार की कार्य योजना देवारण्य बोटैनिकल गार्डन सिनखेड़ा के नाम से प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया है। 

   मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत आकाश सिंह एवं  विश्वविद्यालय के रजिस्टर जीएस चौहान,वनस्पति शास्त्र की पूर्व प्राध्यापक डॉक्टर पुष्पा पटेल, पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर आर एस देवड़ा , वनस्पति शास्त्र के प्रोफेसर सी एल निंगवाल, सीईओ मनोज निगम, सहायक यंत्री महेश जोशी परियोजना अधिकारी, मनरेगा श्याम रघुवंशी, ग्राम पंचायत  सरपंच श्रीमती रजनी चौहान, संजय चौहान, सचिव महेंद्र पाटीदार रोजगार सहायक बालके , संजय सोलंकी एवं मनोहर  साथ टीम के द्वारा स्थल का निरीक्षण किया गया तथा यहां कार्य को स्वीकृति प्रदान कर प्रारंभ कराया गया। 

     मुख्य कार्यपालन अधिकारी आकाश सिंह द्वारा बताया गया कि जिले में वर्तमान में भीषण गर्मी को देखते हुए पर्यावरण व पेड़ पौधों का संरक्षण तथा नए पेड़ लगाने की बहुत ही आवश्यकता है। ऐसे में दुर्लभ , संकटग्रस्त एवं विलुप्त प्रजातियों का संरक्षण करने के लिए देवारण्य बोटैनिकल गार्डन  की स्वीकृति दी गई है । मध्य प्रदेश में यह एक अपने आप में अनूठा नवाचार होगा , संकटग्रस्त विलुप्त प्रजातियों के संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण में सुधार तथा आम पब्लिक में पेड़ पौधों के प्रति जन जागरूकता आएगी। जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत जल स्रोतों के संरक्षण के साथ-साथ विलुप्त संकटग्रस्त प्रजातियों का भी संरक्षण किया जाना चाहिए। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा गार्डन की आय बढ़ाने के लिए बॉर्डर पर बांस रोपण के भी निर्देश दिए गए।

     विश्वविद्यालय के रजिस्टर  जी एस चौहान  द्वारा बताया गया कि बोटैनिकल गार्डन के निर्माण में जन सहयोग की राशि का भी उपयोग किया जाएगा, जिससे बोटैनिकल गार्डन आम पब्लिक के लिए भी आकर्षण का केंद्र बने, आने वाले समय में वनस्पति विज्ञान के छात्रों को अध्ययन करने में बहुत ही सहूलियत होगी।रिटायर्ड प्रोफेसर डॉक्टर पुष्पा पटेल द्वारा बताया गया कि बहुत सी पेड़ पौधों की प्रजाति ऐसी है जो वर्तमान में या तो लुप्त हो चुकी है या लगभग लुप्त होने की कगार में है जिनका संरक्षण किया जाना बहुत ही आवश्यक है ।जंगल निरंतर कम होते जा रहे हैं।जंगलों में बस्तियाँ बढ़ रही है।शंकर भगवान तरह अपनी जड़ों में जल बांधकर रखने वाले पेड़ नहीं होंगे तो मिट्टी भी बह जाएगी व जल भी जमीन के अंदर न जाकर व्यर्थ बह जाएगा। कई औषधीय पेड़ पौधों की संख्या निरंतर कम हो रही है। अतः पेड़ पौधे लगाना व उनकी संख्या बढ़ाना बहुत जरूरी है।

        

     इन दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों का होगा संरक्षण

 बोटैनिकल गार्डन इन प्रजातियों का रोपण किया जाएगा। सुआरुख, दहिमन, गनियार वरुण दांतरंगा, निर्मली, गधा पलास, कुचला, निर्मली, हरी चंपा, स्वर्ण चंपा, आल का पेड़ Morinda  pubescens

लताएं 

   विदारी कंद, सोमलता, वेंटिलाओ, हिप्ताज, मिर्ची कंद, इसरमुल, Dioscorea पेंटफील्ला, गुड़मार, दमबेल, राम दातौन Smilax zeylanica

छोटे पौधे

    प्रश्नपर्णी Uraria पिचता, दुधगोला Nervilia अरगोना, पीठवन Uraria पिचता, सालम मिश्री Geodorum डेंसिफ्लोरूम, Arisaema वन मक्का, सफ़ेद मूसली, आमा हल्दी, Eulophia herbacea माला कंद, हाबेनारिया, भारंगी clerodendrum serratum व अन्य 125 से भी अधिक विलुप्त एवं संकटग्रस्त प्रजातियों का रोपण किया जाएगा।

        डॉ. आर.एस. देवड़ा द्वारा बताया गया कि गार्डन के रखरखाव वह देखभाल के लिए स्थानीय ग्रामीणों की मदद भी ली जाएगी तथा पेड़ पौधों के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य किया जाएगा जिससे आम जन में पेड़ों को बचाने के प्रति रुचि जागृत होगी।