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क्या मुख्यमंत्री झाबुआ और अलीराजपर जिले के आदिवासी समाज को शराब से मुक्त कर पाएंगे |
संभाग ब्यूरो बिलाल खत्री
अलीराजपुर मप्र आदिवासी विकास परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष महेश पटेल ने शनिवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि झाबुआ और अलीराजपुर आदिवासी बाहुल्य गरीब जिले में शुमार होकर इन जिले में कोई बड़े औद्योगिक क्षेत्र नहीं है न कोई ओर व्यवस्था । इसके कारण गरीब आदिवासी लोगों को रोजगार मुहैया नहीं हो पाता ओर मनरेगा से मिलने वाली मजदूरी भी पर्याप्त नहीं होने के कारण दोनों जिले के आदिवासी समाज के लोग अपना घर बार बच्चों ओर वृद्ध लोगों को छोड़कर मजदूरी की तलाश में बड़े शहरों ओर अन्य राज्यों में हजारों की संख्या में पलायन हर वर्ष करते है। पटेल ने बताया की जिले के हजारों आदिवासी समाज के लोग बड़े शहरों के साथ ही अन्य राज्यों में जाकर निवास करने लगे है, आदिवासी समाज ओर अन्य समाज के लोगो के लिए दोनों जिलों में रोजगार के कोई अवसर नहीं के बराबर है। मे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मांग करता हूँ कि वर्तमान में झाबुआ ओर अलीराजपुर जिले में आदिवासी समाज के द्वारा मिशन 3-D चलाया जा रहा। इसमें जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक का भी सहयोग मिल रहा है।
मिशन 3-D अंतर्गत झाबुआ ओर अलीराजपुर जिले के आदिवासी समाज के लोगो को दहेज जैसी कुरीति से मुक्ति दिलाना है
वही डीजे आधुनिक वाद्ययंत्र से सुसज्जित इलेक्ट्रानिक सिस्टम जिसका आजकल शादी ब्याह से लेकर प्रत्येक कार्यक्रम में आदिवासी समाजजनों के साथ अन्य समाज के लोग भी करने लगे । यह एक आम चलन ओर फैशन बनगया बल्कि इसमें भी लोगो में प्रतिस्पर्धा होने लगी और एक से अनेक डीजे विवाह में बुलाने लगे जिसका किराया हजारों रुपया लगता है आदिवासी समाज के लोग इस पर फिजूलखर्ची करने लगे ।
जिसके चलते अनावश्यक खर्च कर कर्जदार होने लगे है, वही देशी ओर अंग्रेजी शराब बियर काफी महंगी का शोक भी आदिवासी समाज के लोगो को कर्जदार बना रहा है। पटेल ने बताया की झाबुआ ओर अलीराजपुर जिले के आदिवासी समाज के नेता, जनप्रतिनिधि और आदिवासी संगठन के पदाधिकारियों ने एक मत से दहेज, डीजे, शराब से आदिवासी समाज को मुक्ति दिलाने हेतु मिशन 3-D के नाम से एक योजना बनाई ओर गांव-गांव जाकर समाजजनो ओर वरिष्ठ लोगों की बैठक लेकर दहेज की कुरीति को मिटाने के साथ ही डीजे की फिजूलखर्ची से बचने के अलावा शराब जिस पर एक विवाह में हजारों रुपए नशे पर बर्बाद हो रहे। जिसके चलते आदिवासी समाज के लोग कर्जदार हो रहे ओर कर्ज चुकाने के लिए हर साल रोजगार की तलाश में अपना गांव छोड़कर मजदूरी हेतु बड़े शहरों के अलावा अन्य राज्यों में पलायन करना पड़ता है। उन्होंने बताया की जिले की सीमा से नर्मदा नदी गुजरती है, जिसमें पर्याप्त जल संग्रहित रहता है, अगर माँ नर्मदा किनारे बड़े बड़े उद्योग धंधे स्थापित हो जाए तो आदिवासी समाज के साथ अन्य समाज के लोगो को रोजगार मिलने लगेगा और उद्योग धंधे से उत्पादित होने वाला सामान भी सड़क ओर रेल मार्ग से अन्य बड़े शहरों के अलावा कई राज्यों में भी भेजा जा सकेगा। इससे क्षेत्र के लोगो की गरीबी और बेरोजगारी भी दूर होगी और क्षेत्र में व्यापार व्यवसाय भी खुल चलने लगेगा।
आदिवासी समाज की भलाई के लिए मिशन 3-D में झाबुआ ओर अलीराजपुर जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक भी गांव गांव ओर हाट बाजारों में जाकर आदिवासी समाज को समाज में फैली कुरीतियों दहेज , डीजे ओर शराब से मुक्ति दिलाने का संकल्प दिला रहे है । अब झाबुआ ओर अलीराजपुर जिले में इसका असर दिखाई देने लगा हे ओर आदिवासी समाज के लोग मिशन 3D में भागीदार बनकर कुरीतियों के खिलाफ ओर डीजे शराब से मुक्ति का संकल्प ले रहे है । उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी आदिवासी समाज के उत्थान और उनके विकास की बाते करते दिखाई दे रहे है, लेकिन आदिवासियों ओर समाज के विकास में शराब बहुत बड़ी बाधा बनी हुई है, जिसके चलते कई घर परिवार बर्बाद हो गए और आदिवासी समाज के हजारों लोग कर्जदार हो गए है। झाबुआ ओर अलीराजपुर जिले में प्रदेश सरकार चाहे तो शराब बंदी लागू कर नित नए-नए उद्योग धंधे स्थापित कर आदिवासी समाज के लोगो के उत्थान और विकास के साथ ही आर्थिक रूप से संपन्न बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जो एक ऐतिहासिक उदाहरण बनेगा। मे प्रदेश के प्रदेश के मुखिया डॉ. यादव से माँग करता हूँ की झाबुआ ओर अलीराजपुर जिले में शराबबंदी लागू कर आदिवासी समाज की उपकृत करने का कार्य करे।