संभाग ब्यूरो बिलाल खत्री
अलीराजपुर जिले से आठ किमी दूर स्थित लगभग 2000 वर्ष प्राचीन लक्ष्मणी तीर्थ के जिर्णोद्धार पश्चात भव्यातिभव्य देव विमान तुल्य जिनालय के महामंगलकारी प्रतिष्ठा महोत्सव के चौथे दिन शनिवार को सौधर्म वृहत्तपागच्छाधिपति परम पूज्य आचार्य देवेश श्रीमद विजय जयानंद सूरीश्वरीजी मसा एवं आचार्य देवेश दिव्यानंद सूरीश्वर जी महसा आदि श्रमण वृंद एवं श्रमणीवृंद की निश्रा में हर्षोल्लास के साथ रथयात्रा निकली। जिसमें सर्वप्रथम शहनाई वादक, हाथी, घोडे, बैंड बाजों के साथ श्रावक एवं श्राविका आकर्षक वेषभूषा में सजधज कर चल रहे थे। रथ यात्रा प्रात: करीब 10 बजे नूतन जिनालय से प्रारंभ होकर खंडवा वडोदरा मार्ग मुख्य मार्ग तक पहुंची जहां से होते हुए पुन: तीर्थ परिसर में नूतन जिनालय के सामने समाप्त हुई। इस दौरान श्रावक-श्राविकाओं में अपार उत्साह छाया हुआ था, पूजा के वेश में श्रावक भगवान का रथ अपने हाथो से खींच रहे थे। इससे पूर्व नूतन जिनालय में चैत्य अभिषेक हुआ, जिसमें समाजजनों ने बढ चढकर हिस्सा लिया।
जब कर्म उदय में आता है तो अच्छे अच्छे मुहं फेर लेते है
रथयात्रा के पश्चात व्याख्यान पंडाल में श्रावक-श्राविकाओं ने गुरू वंदन किया। पश्चात वाचक विजय जी महाराज साहब ने प्रवचन में कहा कि जब कर्म उदय में आता है तो अच्छे अच्छे रूस्तम मुहं फेर लेते है, परमात्मा कभी किसी को जिनालय से बाहर नहीं निकालते है, वो मानव में भगवान देखते है। उन्होने एक कहानी के माध्यम से कर्म के उदय के बारे में बताया। तीर्थंकर परमात्मा की आज्ञा दवाई है
आचार्य देवेश दिव्यानंद सूरीश्वर जी महाराज साहब ने कहा कि ये संसार चक्र क्यों चल रहा है, अपने जन्म-मरण का चक्र क्यों चल रहा है, आपने कभी ये जानकारी ली है? संसार में जन्म लेकर भव भ्रमण कर रहा है। जन्म मरण का परिभ्रमण चल रहा है, क्योंकि कर्मो का क्षय नहीं हुआ है। परमात्मा के पास इस परिभ्रमण को मिटाने के लिये जाते है। तीर्थंकर परमात्मा की आज्ञा दवाई है। उन्होने कहा कि इस शानदार जिनालय के निर्माण में श्री पद्मप्रभ कल्याणजी जैन श्वेतांबर पब्लिक चेरीटेबल ट्रस्ट एवं श्री राजेन्द्र जयानंद सम्यग योग ट्रस्ट मुंबई का अपूरणीय योगदान रहा है। हमारा प्रबल पुण्योदय होगा तो ऐसे मानव भव में नूतन जिनालय की प्रतिष्ठा देखने का अवसर मिला है। हमेशा दिमाग में ये बात रखे की प्रभु के सामने कर्मो से मुक्ति के लिये जाते है, कर्मो से छूटना है तो कसायों से छुटना पडेगा। मन मंदिर में प्रभु को विराजमान करने की भावना रखो, जिनको जिन धर्म मिला वो धन्य है। परमात्मा के वचन सुने और श्रद्धा नहीं की तो वचन नहीं सुने बराबर ही है। कर्म बंधन के लिए परिश्रम करना पडता है, जबकि कर्म छोडने के लिये कुछ नहीं करना पडता है।
विभिन्न चढावों की बोलिया बोली गई, हुए कई कार्यक्रम इस दौरान नूतन जिनालय में तोरण बांधना, थाली बजाना, कंकु थापा, मंगलमूर्ति, माणक स्थंभ स्थापना सहित अन्य बोलिया बोली गई। वहीं दिन में गांव सांझी एवं मेहंदी, भगवान की गादी भंडार भरने, आकर्षक रत्नजडित आंगी, नूतन जिनालय में विशेश फूलों से सजावट की गई।
सुमधुर भक्ति में जमकर झूमे श्रावक
इससे पूर्व शुक्रवार रात्रि में पंडाल में सुमधुर भक्ति का आयोजन हुआ, जिसमें धार्मिक स्तवनों श्रावक जमकर झूमे। महामंगलकारी प्रतिष्ठा को लेकर समाजजनों में अपार उत्साह का माहौल है।
आज शुभ मुहुर्त में होगी महामंगलकारी प्रतिष्ठा
श्री पद्मप्रभ कल्याणजी जैन श्वेतांबर पब्लिक चेरीटेबल ट्रस्ट एवं श्री राजेन्द्र जयानंद सम्यग योग ट्रस्ट मुंबई के पदाधिकारियों ने बताया कि आज 2 मार्च 2025, फाल्गुन सुद तीज, रविवार को प्रात: शुभ मुहुर्त, शुभ लग्न, शुभ नवमांसे, सभी जिनबिंब, गुरूमूर्ति, देवी-देवता की पावनकारी प्रतिष्ठा, कंकुथापा, नवरत शाही करबा, महाप्रभाविक संघोन्नतिकारक बृहद अष्टोत्तरी, श्री शांति स्नात्र महापूजन, सकल श्री संघ की पूरे दिन की नवकारसी, सायं परमात्मा की भव्य आंगी एवं संध्या भक्ति भावना आदि होगी। प्रतिष्ठा महोत्सव में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, सहित देश के विभिन्न प्रांतो एवं शहरो से बडी संख्या में श्रावक-श्राविका पहुंचे। सभी कार्यक्रम में जैन श्री संघ का सर्वोत्तम सहयोग रहा।