सैलाना विद्यायक कमलेश्वर डोडियार व जोबट विधायक सेना पटेल भी हुए शामिल |
ये लड़ाई लंबी है टुकड़े टुकड़े में बंटने की बजाय एकजुट होकर लड़ने की आवश्यकता है |
बिलाल खत्री
अलीराजपुर। जिले के ग्राम बड़ी खट्टाली में स्थानीय मैदान पर जिलेभर के आदिवासी समाज ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती मनाई। जहा पर विशाल पांडाल तैयार कर कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमे आदिवासी अधिकारों पर चर्चा हुई व सांस्कृतिक प्रस्तुति भी दी गई। कार्यक्रम के शुभारंभ में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर द्वीप प्रज्वलित किया गया।कार्यक्रम में बाप पार्टी से सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को याद किया। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के जल, जंगल और जमीन के अधिकार के लिए आदिवासियों के साथ उनके किए गए संघर्षों को भी बताया। डोडियार ने कहा कि हमे बिरसा मुंडा की शिक्षा का अनुसरण करते हुवे अपना-अपना योगदान अगर ठीक से देंगे तो निश्चित ही आदिवासी समाज बहुत तेज गति से अपनी समस्याओं का समाधान कर आगे बढ़ चलेगा। भगवान बिरसा मुंडा की गौरव गाथा युगों-युगों तक प्रेरणा देती रहेगी। साथ ही जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर भी अपना रुद्र रूप दिखाते हुए कहा आने वाले विधानसभा सत्र में क्षेत्र का मुद्दा प्रमुखता से उठाऊंगा। ओर मुझे जानकारी मिली कि खट्टाली के आसपास के ग्रामीण लोगो को यहा के अस्पताल में इलाज करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नही है। अस्पताल है भी, लेकिन डॉ नही है ओर डॉ भी है लेकिन उन्हें भी कही अटका दिया जाता। कभी पर्याप्त दवाइयां नही है। अस्पतालों में दवाइयों का इंतजाम करने भगवान बिरसा मुंडा नही आएंगे। हमे थोड़ा-थोड़ा संघर्ष करना होगा। मुझे याद है कि आपने 2-3 महीने पहले एक बहुत बड़ा आंदोलन किया था। इस इलाके में खनिज ग्रेफाइट निकालने के नाम पर प्रयास किये जा रहे है। आपने सभी लोगो ने समाज के साथ मिलकर आपत्ति दर्ज करवा दी। लेकिन यह खनिज ग्रेफाइट निकालने का जो प्रोजेक्ट है यह निरस्त नही किया गया है।
जोबट विधायक सेना पटेल ने कहा कि बिरसा हमेशा आदिवासियों के संरक्षक बने रहे। भगवान बिरसा मुंडा के जन्म से लेकर इनके जीवन की संघर्ष गाथा के बारे में हम सभी आदिवासी भाई बहनों को जानना चाहिए। आदिवासियों पर हुवे अत्याचारों को उन्होंने जमकर सामना किया। जल, जंगल जमीन के लिए हमेशा लड़ते रहे। आज कॉरपोरेट घराने यहां के जल जंगल जमीन और पहाड़ पर कब्जा कर रही है। हमें इसके खिलाफ कड़ा संघर्ष करना होगा। ओर साथ ही कहा हमारे क्षेत्र के पड़े लिखे युवा मुझे सुझाव दे आपके हर मुद्दे को में उठाऊंगी।
इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता विमलेश खराड़ी ने ओजस्वी भाषण में बिरसा दादा के विचारों को बताया शरीर से खून बहे तो चलेगा, लेकिन आँखों से आंसू नही निकलना चाहिए ऐसे विचार रहे है हमारे संघर्षशील बिरसा दादा के जिन्होंने 25 वर्ष की अल्पायु में अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद कनेश, विक्रम चोंगड व कैलाश सोलंकी आदि ने भी आदिवासी समाज के अधिकारों पर अपने विचार व्यक्त किये।
नितेश अलावा ने कहा बटोगे तो कटोगे ये नारा जिसने भी दिया हो आदिवासी समाज पर लागू होता है, जितना हम बंटकर रहेंगे आदिवासी समाज का उतना ही नुकसान है, जयस जैसी क्रांति की वजह से हमारे समाज में तेजी से जागरूकता फैल रही थी लेकिन राजनीतिक कीड़ों की वजह से हमारा आंदोलन 10 वर्ष पीछे चला गया है, संगठन कोई सा भी हो समाज के लिए एकजुट होने का आव्हान किया।
इस अवसर पर
सरपंच चैनसिंह डावर,आयोजन समिति अध्यक्ष मालसिंह तोमर, प्रभारी कैलाश सोलंकी, कोषअध्यक्ष राकेश चौहान, मीडिया प्रभारी जीतू मौर्य, विधायक कमलेश्वर डोडियार, सेना पटेल, शंकर बामनिया, राजेंद्र बामनिया, अरविंद कनेश, विक्रम चोंगड, मुकेश रावत, मालसिंह तोमर, रिंकू बाला डावर, दिलीप कलेश, भीमसिंह बामनिया, आदिवासी समाजजन सहित स्कूली छात्र-छात्राए मौजूद थे।कार्यक्रम का संचालन कैरम चौहान ने किया तथा आभार खट्टाली सरपंच चेनसिंह डावर ने माना।