इक़बाल खत्री
खरगोन। जिले में रबी फसलों का कार्य प्रगति पर है, जिसके चलते बेसल डोज के रूप में कृषकों को डीएपी, एनपीके एवं एसएसपी उर्वरक की आवश्यकता होती है। वर्तमान में शासन द्वारा उर्वरक की आपूर्ति की जा रही है। खरगोन जिले में किसानों के लिए पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के मार्गदर्शन में जिले में सभी एसडीएम, तहसीलदार, नायाब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, पटवारी एवं कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी शासकीय एवं निजी उर्वरक विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों का सतत निरीक्षण कर रहे हैं।
कलेक्टर श्री शर्मा ने कहा है कि जिले के किसान अपने विकासखण्ड स्थित निजी उर्वरक विक्रेताओं से निर्धारित दर पर उर्वरक की खरीदी करें तथा खरीदी पश्चात उर्वरक खरीदी का बिल अवश्य प्राप्त करे, यदि कोई भी उर्वरक विक्रेता निर्धारित दर से अधिक दर पर उर्वरक का विक्रय करता है तथा स्टॉक होते हुए भी उर्वरक देने के लिए मना करता है, तो इसकी सूचना अपने क्षेत्र के एसडीएम, तहसीलदार या विकासखण्ड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को दें। जिले के कृषि आदान विक्रेताओं को निर्देशित किया गया कि कृषि आदान (खाद, बीज एवं दवाई) निर्धारित मूल्य पर ही किसानों को विक्रय करे और ग्राहको को पक्का बिल दें। निर्धारित मूल्य से अधिक दाम में उर्वरक बेचते पाये जाने पर संबंधित के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराई जायेगी।
उप संचालक कृषि एम एस सोलंकी ने बताया कि रबी फसलों के लिए कृषक डीएपी उर्वरक का अधिक उपयोग करते है। किसानों को सलाह दी गई है कि रबी फसलों के लिए बेसल डोज के रूप में एनपीके उर्वरक जैसे- 12.32.16 एवं 20.20.0.13 आदि डीएपी के स्थान पर एक अच्छा विकल्प है। एनपीके का उपयोग करने से फसलों में एक साथ तीन तत्वों नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश की पूर्ति होती है, जबकि डीएपी उर्वरक से मात्र दो तत्वों नाइट्रोजन, फास्फोरस की ही पूर्ति होती है। इस प्रकार डीएपी के स्थान पर एनपीके का उपयोग कृषकों के लिए लाभकारी है। इसके अतिरिक्त कृषक भाईयों से अपील की गई है कि, मृदा परीक्षण के आधार पर जारी मृदा स्वास्थ्य कार्ड में की गई अनुशंसा के अनुरूप ही उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें।