और अधर्म के चार चरण होते हैं मद , कुविचार, पशु हिंसा, मदिरापान मनुष्य जीव कोधर्म के चार चरणों को अपने जीवन काल में अपनाते हुए अपने जीवन को सार्थक बनाएं साथ ही
अधर्म के कुविचारों से दूर रहे
पंडित व्यास के आगे बताया मानव जीव को अपने जीवन में जितनी लकड़ी उपयोग करते हैं अपने जीवन काल में उतना सुरक्षा रोपण कर वृक्ष को बड़ा करना चाहिए साथ ही आने वाले श्राद्ध पक्ष में पितरों का भोजन हेतु आज के समय में काग पक्षी दिखाई नहीं देते हैं इस हेतु हमें अपने घर की छत पर पक्षियों के लिए दाने , पानी, की व्यवस्था करना चाहिए कथा भक्त चरित्र का वर्णन किया शिव पार्वती का विवाह धूम धाम से संपन्न हुआ साथ ही गुरु जी ने इस युग में महिलाओं से व्यवहार प्रताड़ना देखने को मिल रही हे गुरु जी ने अपने मुख से संवाद करते हुए बताया मनुष्य को नारियों के प्रति सदैव सुविचार रख उनका मान सम्मान करना चाहिए साथ ही अपने धर्म को को दूसरे के भरोसे ना ना छोड़े धर्म की जुड़ी हुई समस्त गतिविधियां स्वयं को करते हुए अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए आगे उन्होंने बताया जिस तरह आधुनिक में मोबाइल चल रहा है देश का युवा पद भ्रमित हो रहा है मोबाइल से सदैव सकारात्मक चीजे ग्रहण कर अपने जीवन को सफल कर उन्नति के पद पर ले जाना चाहिए
युवा बालिकाओं को मार्गदर्शन प्रदान करते हुए अपने कुल, समाज की मर्यादा का ध्यान रख कर सामाजिक परिवेश में विवाह बंधन करना चाहिए आगे उन्होने बताया वणिक समाज का उल्लेख हम सतयुग काल से सुनते आ रहे आपका समाज व्यापारिक गतिविधियों के साथ सदेव धर्म पथ पर अग्रसर रहा है