साजिद राजधानी बड़वानी
25 अगस्त- 2024 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में समाज का सम्मेलन का सफल आयोजन किया गया सम्मेलन में मध्य प्रदेश के कई जिलों से वंचित समाज (एससी-एसटी-ओबीसी एवं माइनोरिटी) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत संविधान की पुजा अर्चना व दीप प्रज्वलन कर की गई। शुरुआत में संविधान की प्रस्तावना का हिंदी तथा अंग्रेजी में वाचन कर उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी की शपथ दिलाई गई। महिला समुह द्वारा संविधान गीत प्रस्तुत कर "आमु आदिवासी नारियां रे लोल..." गीत पर सुंदर नृत्य किया गया। प्रस्तावना मोहिंदर कंवर द्वारा रखी गई। बौद्धिक जन सम्मेलन में कई ज्वलंत मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया एवं समुह में चर्चा कर प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम भी किया गया। सभा बैठे कार्यकर्ताओं ने मंचासीन बुद्धिजीवी अतिथियों से बहुत ही उत्साह से प्रश्न किए और अतिथियों ने भी उसी तत्परता से जवाब दिया। चर्चा के मुख्य विषय एवं वक्ताओं का विवरण इस प्रकार है:-
1 “जल जंगल ज़मीन और वंचित समाज”- मेघा पाटकर
2 “भारतीय संविधान की दृष्टि से वंचित समाज “-प्रशांत भूषण जी(आन लाईन)
3 “असुरक्षा और अनिश्चितताओं से भरे हुए इस सामाजिक सांस्कृतिक वातावरण में वंचितों की प्रतिक्रिया”- पोरलाल खरते
4 “विलुप्तप्राय गाथाओं गीतों लोकोक्तियों और वानस्पतिक आदिम प्रजातियों का संरक्षण” -बाबूलाल दाहिया जी
5 “जातिवादी व्यवस्था और वर्तमान परिस्थितियों के मध्य वंचित समाजों में एकीकरण का दायित्वबोध कैसे विकसित करें”-लक्ष्मण यादव
6 “पत्रकारिता की दृष्टि से वंचित समाजों की चुनौतियां “-नवीन कुमार
7 “प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण”-जाधव पायंग जी
इसके अतिरिक्त शिवशंकर यादव, विल्फ्रेड लकड़ा,आर डी भल्लावी, डाक्टर किरण वट्टी, सत्यम जैन, शरद सिंह कुमरे, प्रकाश ठाकुर आदि ने भी सभा को संबोधित किया। सिद्धू कानु के संथाल हूल विद्रोह पर आधारित नाटक का मंचन भी किया गया। इस मंच के द्वारा समाज में अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले समाजसेवियों का शिलड प्रदान कर सम्मानित किया । यह आयोजन भोपाल में कार्यरत वंचित समाज के समस्त सामाजिक संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। मौसम खराब होने एवं निरंतर बारिश होने की वजह से कार्यक्रम शाम 7:30 बजे तक चला ।