भोपाल / राजधानी भोपाल का मसाज़िद कमेटी दफ्तर अब राजनीतिक पार्टियों का अड्डा बन चुका है पूरा मामला राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है जहाँ वर्चस्व की लड़ाई चल रही है मसाज़िद कमेटी के पूर्व सचिव यासिर अराफात पर भ्र्ष्टाचार के आरोप लगाकर उन्हें सचिव पद से हटा दिया गया था इसके चलते यासिर अराफात ने हाई-कोर्ट में आदेश को चुनोती दी और हाई कोर्ट का आदेश लेकर दफ्तर पहुँचे जहाँ मसाज़िद कमेटी के सचिव उवैस अली ने हाई-कोर्ट का आदेश लेने से इंकार कर दिया एवं दोनो के बीच गर्मागर्म बहस हो गई। पूर्व सचिव यासिर अराफात ने हाई-कोर्ट का आदेश मसाज़िद कमेटी के दरवाजे पर चस्पा कर दिया इस दौरान थाना शाहजहाँबाद के उप निरीक्षक पवन सेन और एक अतिरिक्त उप-निरीक्षक मौजूद थे पुलिस के हस्तक्षेप और समझाईश के बाद दोनों शांत हुए।
मीडिया से चर्चा करते हुए मसाज़िद कमेटी के पूर्व सचिव यासिर अराफात ने कहा 24 मार्च 2024 को दफ्तर के एक ऐसे अक्षम लिपिक के कहने पर मुझे हटाया गया है जिसे हटाने का अधिकार ही नही था मैंने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में चैलेंज किया था माननीय न्यायालय ने मेरी याचिका पर संज्ञान लेकर मसाज़िद कमेटी के आदेश को निरस्त करते हुए मुझे दोबारा मसाज़िद कमेटी पर बहाल किया था और जब में हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी लेकर दफ्तर चार्ज लेने गया तो वहाँ ताला पड़ा हुआ था मैंने उवैस अली जो अभी मसाज़िद कमेटी के सचिव बने बैठे है उनको हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी दी तो उन्होंने लेने से साफ मना कर दिया और माननीय न्यायालय की अवमानना की है में इसके खिलाफ फिर हाई कोर्ट जाऊंगा और एक पिटीशन इसके खिलाफ दाखिल करूंगा।
पूर्व सचिव यासिर अराफ़ात ने आरोप लगाते हुए कहा की माननीय मंत्री जी और राज्य शासन को इस पर संज्ञान लेना चाहिए की किसे ज़िम्मेदारी देनी चाहिए और किसे नही, ऐसे अक्षम आदमी को मसाज़िद कमेटी का सचिव बना दिया जो पढ़ा-लिखा नही है जिसे ये नही पता की हाई कोर्ट होता क्या है और उसकी अवहेलना क्या होती है उसका आदेश क्या मायने रखता है ये सरासर जिहालत है।