भोपाल / इस्लाम का मुकद्दस और सबसे पवित्र माह रमज़ान आज चाँद दिखते ही शुरू हो गया। आज से तरावीह की विशेष नमाज़ हर मस्ज़िद में अदा की जाएगी जिसमें एक हाफिज़ पूरा क़ुरआन तरावीह की नमाज़ में सुनाता है राजधानी भोपाल की अलग-अलग मस्ज़िदों में 10 दिन, 15 दिन 20 दिन और 27 दिन में खत्म तरावीह क़ुरआन किया जाएगा मुस्लिम समाज मे रमज़ान के महीने का बहुत ख़ास महत्व है इस पूरे माह मुस्लिम समाज के लोग रोज़े रखते है और तरावीह की विशेष नमाज़ अदा करते है सुबह सादिक से पहले मुस्लिम समाज के लोग खाना खाते है जिसे सेहरी कहा जाता है और फिर दिन भर सूरज ढलने से पहले ना खाने की तरफ देखते है और ना पानी की तरफ। दिन भर भूखे-प्यासे रहने के बाद सूरज ढलते ही रोज़ा खोला जाता है जिसे इफ्तार कहते है ये सिलसिला लगातार 29 या 30 दिनों तक चलेगा जब तक ईद का चाँद नज़र ना आ जाए। रमज़ान का चाँद दिखते ही मुस्लिम समाज के बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं और युवक-युवतियों में खुशी की एक लहर दौड़ गई हर एक अपने मिलने वाले दोस्त-अहबाब और रिश्तेदारों को रमज़ान की मुबारकबाद दे रहा था इसके साथ ही बाज़ारो में चहल-पहल बढ़ गई है और सेहरी का सामान दुकानो पर सज गया है शीरमाल, पराठे, बाकरखानी, फैनी, बिस्कुट, टोस्ट और सिवइयों की खरीदारी करने के लिए दुकानों पर भीड़ नज़र आने लगी है।
रमज़ान के मुताल्लिक इस्लाम के आखिरी पैगम्बर हज़रत मोहम्मद सल्ल. ने अपने सहाबा किराम रज़ि. (अनुयाइयों) को रमज़ान की फ़ज़ीलत के बारे में शाबान की आखिरी तारीख में इर्शाद फ़रमाया की तुम्हारे ऊपर एक महीना आ रहा है जो बहुत बरकतों वाला है अल्लाह ने इसके रोज़े को फ़र्ज़ किया है और रात के क़याम यानी तरावीह को सवाब की चीज़ बनाया है इस महीने में मोमिन का रिज़्क़ बढ़ा दिया जाता है ये महीना लोगो के साथ गमख़्वारी करने का है और ये महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है इसका पहला अशरा रहमत है दूसरा अशरा मगफिरत है और तीसरा अशरा आग से खलासी है इस महीने में एक रात है जिसे शबे-क़द्र कहते है जो हज़ार महीनों से अफ़ज़ल है जो इस रात में अल्लाह की इबादत करता है वो ऐसा है की उसने 83 बरस 4 माह अल्लाह की इबादत की। इस महीने में क़ुरआन नाज़िल हुआ है इसलिए खूब कसरत से क़ुरआन की तिलावत करो और अल्लाह का ज़िक्र करो इस महीने कलमा-ए-तैयबा की कसरत करो और अस्तग़फ़ार की कसरत करो इसके साथ ही जन्नत की तलब करो और जहन्नम से पनाह मांगों रमज़ान का चाँद दिखते ही सरकश शयातीन (शैतान) कैद कर लिए जाते है।