भोपाल / धर्म क्या सिखाता है ये सवाल सबके मन मे होता है लेकिन इसका मतलब हर इंसान अपने मिज़ाज़, अक्ल और अक़ीदे से समझता है असल मे धर्म इंसानियत सिखाता है जो सर्वोपरि है धर्म नैतिकता सिखाता है धर्म त्याग और बलिदान देना सिखाता है ईश्वरीय मार्ग पर चलकर ईश्वर तक पहुंचना सिखाता है धर्म करुणा और दया सिखाता है धर्म उपकार करना और मानवता का उद्धार करना सिखाता है धर्म आपस मे प्रेम करना सिखाता है धर्म एक-दूसरे को सम्मान देना सिखाता है लेकिन मौजूदा दौर में कुछ तथाकथिक लोगो ने धर्म के मायने ही बदलकर रख दिए है सच्चा धर्म कभी भी इंसानो का मोहताज नही हुआ है और सच्चे धर्म को कभी किसी भी प्रकार के प्रचार की ज़रूरत नही पड़ती है ये इंसानो में खुद ब खुद नज़र आता है और इसी से प्रेरित होकर इंसान धर्म को समझने और जानने के लिए प्रयत्नशील हो जाता है ताकि धर्म उसे सही राह दिखाए। धर्म का ताल्लुक ईश्वर से है जो इंसानो को अपने पैदा करने वाले एक ईश्वर से मिला देता है सच्चे धर्म के खिलाफ कितना भी दुष्प्रचार कर लो ये कभी भी किसी दायरे में सीमित नही हुआ है बल्कि और ज़्यादा तेज़ी से बढ़ता है और फैलता है सच्चा धर्म एक ऐसी आग है जिसको जितना बुझाने की कोशिश करोगे ये और ज़्यादा बेकाबू होकर भड़केगी क्योंकि सच्चा धर्म एक सच्चे ईश्वर का है और उस धर्म का रक्षक वो खुद है
आपसी सौहार्द बिगाड़कर नफरते फैलाना, एक-दूसरे के धर्म को नीचा दिखाने की कोशिशों में हर वक्त लगे रहना, धर्म के लिए बेकसूरों का खून पानी की तरह बहा देना दूसरो को उनके धर्म की आराधना करने से रोकना, उस पर एतराज करना ये धर्म नही बल्कि सरासर अधर्म है।