कोलकाता / धारा 498-A यानी दहेज-प्रताड़ना, पत्नि के साथ क्रूरता करने वाले पति और उसके परिवार को सज़ा देने के लिए और पत्नि को इंसाफ़ दिलाने के लिए ये कानून लाया गया था लेकिन इस कानून का पिछले कुछ वर्षों से बहुत ही ज़्यादा दुरूपयोग हो रहा है। महिला अपने पति और ससुराल वालों से बदला लेने की फिराक में दहेज-प्रताड़ना का झूठा मुकदमा दर्ज करवा देती है जिस्की वजह से महिला का पति और ससुराल वाले बेकसूर होते हुए भी अदालतों के चक्कर काटते रहते हैं समय भी खराब होता है, पैसा भी ज़ाया होता है और समाज की नज़रों में हिकारत की निगाह से भी देखा जाता है और महिला के पति का पूरा परिवार मानसिक प्रताड़ना झेलता है। धारा 498-A लगने के बाद महिला का पति डिप्रेशन तक मे आ जाता है और कई मौकों पर तो कितने ही पति जो इस कानून का दंश झेलते है आत्महत्या करके अपने जीवन की इहलीला ही समाप्त कर लेते हैं। और फिर महिला और महिला के मायके वाले समझौते के नाम पर पति और ससुराल वालों से लाखों रुपए का सौदा करते है। पति बेचारा अपनी और अपने परिवार को मुश्किल से निकालने के लिए उनके सौदे को मंजूर कर लेता है और उधार लेकर, कर्ज़ लेकर पत्नि और ससुराल वालो की डिमांड को पूरी कर देता है।
ऐसा ही एक मामला कोलकाता-हाई कोर्ट में आया जहाँ जस्टिस शुभेदु सामंत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, धारा 498-A को महिलाओं के कल्याण के लिए लाया गया था लेकिन महिलाएं इस कानून का गलत इस्तेमाल अपने ससुराल वालों को झूठे मुकदमे में फंसाने में कर रही है। कोलकाता हाई-कोर्ट के न्यायाधीश शुभेदु सामंत ने आगे कहा समाज मे दहेज के प्रकोप को खत्म करने के लिए 498 (दहेज-प्रताड़ना) के कानून को लाया गया था लेकिन कई मामलों में ये देखा गया है इस कानून का गलत इस्तेमाल कर महिलाओं ने कानूनी आतंकवाद छेड़ रखा है।