गुजरात दंगा मामले में राज्य सरकार के अधिकारियों को फंसाने के लिए झूठे साक्ष्य तैयार करने के आरोप में पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़ के साथ ही राज्य के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को पिछले साल जून में गिरफ्तार किया था।
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 2002 के दंगों के संबंध में फर्जी सबूत तैयार करने के मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की है। अहमदाबाद पुलिस की अपराध साखा ने सीतलवाड़ के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
गुजरात दंगा मामले में राज्य सरकार के अधिकारियों को फंसाने के लिए झूठे साक्ष्य तैयार करने के आरोप में पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़ के साथ ही राज्य के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को पिछले साल जून में गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट से जकिया जाफरी की याचिका खारिज करने के बाद पुलिस ने तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। जकिया जाफरी के पति और पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी गुजरात दंगों के दौरान मारे गए थे।
सीतलवाड़ पर आईपीसी की धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 194 (मौत की सजा दिलाने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना) के तहत मामला दर्ज किया गया है। जकिया जाफरी की याचिका में वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों के पीछे साजिश में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की संलिप्तता होने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पीएम मोदी और 63 अन्य को एसआईटी की क्लीन चिट को बरकरार रखा था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि हमें ऐसा लगता है कि गुजरात सरकार के असंतुष्ट अधिकारियों के साथ-साथ अन्य लोगों ने झूठे दावे कर सनसनी पैदा करने का प्रयास किया था। एसआईटी ने गहन जांच के बाद उनके झूठ को पूरी तरह से उजागर कर दिया... वास्तव में, प्रक्रिया के इस तरह के दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों को कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए।